कोरोना के खिलाफ जंग में देश में तेजी से वैक्सीनेशन चल रहा है, अच्छी खबर ये है कि अब तक देश की 70 फीसदी बालिग आबादी को कोविड वैक्सीन का कम से कम एक डोज लग चुका है. केंद्र सरकार अब जल्द ही 12 साल से ऊपर के बच्चों के लिए वैक्सीनेशन शुरू करने कि तैयारी में है. आपको बता दें, कुछ समय पहले ही भारत में जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन ZyCoV-D को DCGI यानि ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की ओर से इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है. इस वैक्सीन की क्या खासियत है. इसके भारत आने से क्या फायदा मिलेगा. ये वैक्सीन कितनी असरदार होगी. और क्या बच्चों के लिए ये वैक्सीन सुरक्षित है? इन सभी सावलों के जवाब के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ.
क्या है जायडस कैडिला की खासियत ?
इस वैक्सीन का ट्रायल 12 से 18 साल के बच्चों पर भी किया गया और ये पूरी तरह से सेफ पाई गई है. अब भारत में बच्चों पर इसका इस्तेमाल किया जाएगा. देश में लग रही कोरोना की बाकी वैक्सीनों से अलग ZyCoV-D की 3 डोज लगाई जायेंगी और वो भी 4 हफ्तों के अंतराल पर. खास बात ये है कि ये नीडललेस है यानि इसमें सुई का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इसकी वजह से साइड इफेक्ट के खतरे भी कम रहते हैं. ZyCoV-D के साथ कोल्ड स्टोरेज का भी कोई झंझट नहीं है. इसको 2-8 डिग्री तापमान पर स्टोर किया जा सकता है. कंपनी ने जायकोव-डी की तीन खुराकें 1900 रुपये में देने की पेशकश की है. हालांकि, सरकार कीमत कम करने के लिए मोलतोल कर रही है.
बिना सुई के कैसे लगेगी वैक्सीन ?
इस वैक्सीन को बिना सुई के फार्माजेट तकनीक से लागाया जाएगा. माना जाता है कि इससे साइड इफेक्ट जैसे सूजन और दर्द का खतरा कम रहता है. पहले बिना सुई वाले इंजेक्शन में दवा भरी जाती है, फिर उसे एक मशीन में लगाकर हाथ पर लगाते हैं. मशीन पर लगे बटन को क्लिक करके टीका की दवा अंदर शरीर में पहुंच जाती है.
कितनी असरदार है वैक्सीन ?
बताया जा रहा है कि वैक्सीन की एफिकेसी 66.6 प्रतिशत है. जायडस कैडिला ने दावा किया है कि उसने भारत में वैक्सीन का सबसे बड़ा ट्रायल किया है. 50 से ज्यादा केंद्रों पर इस वैक्सीन का टेस्ट किया गया. यह भारत में कोरोना वैक्सीन का अब तक का सबसे बड़ा ट्रायल था. बता दें इंसानों के साथ-साथ बाकी जानवरों पर भी इस वैक्सीन का ट्रायल हो चुका है. कंपनी का दावा है कि वैक्सीन वायरस के नए वारिएंट्स जैसे डेल्टा पर भी असरदार है.
यह पहली प्लाज्मा डीएनए वैक्सीन है जिसमें में वायरस के जेनेटिक तत्वों का इस्तेमाल हुआ है. कंपनी का दावा है की प्लग एंड प्ले तकनीक जिस पर प्लास्मिड डीएनए प्लेटफॉर्म आधारित है, वो वायरस से निपटने के लिए अनुकूल है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसे वायरस में म्युटेशन से निपटने के लिए आसानी से तैयार किया जा सकता है.
भारत में अब तक सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड, भारत बॉयोटेक की कोवैक्सिन, रूस की स्पूतनिक-वी, अमेरिका की मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है. जायडस कैडिला 6वीं वैक्सीन है, जिसे मंजूरी मिली है. हालांकि, देश में कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पुतनिक वी वैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा है.