जहां एक ओर यूक्रेन युद्ध में उलझी हुई है तो वहीं भारत ने अफगानिस्तान में एक ऐसा दांव चल दिया है जिसने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है.. अफगानिस्तान में तकालिबान के सत्ता में आने के बाद भारतीय अधिकारियों के पहले काबुल दौरे से पाकिस्तान बौखला गया है..भारत के तालिबान के साथ संपर्क साधने से पाकिस्तान को इतनी तकलीफ क्यों हुई और इससे भी पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में भारत के दखल को रोकने के लिए कैसा सखूनी खेल खेला था ये बताने से पहले हम आपको पाकिस्तान के ताजा रिएक्शन के बारे में बताते हैं,..
भारत के विदेश मंत्रालय के अधिकारी जेपी सिंह के काबुल दौरे और तालिबान सरकरा के मंत्रियों के साथ उनकी मीटिंग के बाद भड़के पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के अधिकारी असीम इफ्तिखार ने बारत का नाम लिए बिना कहा कि पाकिस्तान चाहता है कि अफगानिस्तान तरक्की करे और स्थिर रहे और वो नहीं चाहता कि कोई देश यानी भारत इस स्थिति को बिगाड़ने वाली भूमिका निभाए..
दरअसल पाकिस्तान भारत को स्थिति बिगाड़ने वाले देश इसलिए कह रहा है क्योंकि अफागनिस्तान में भारत का दखल पाकिस्तान के उस खेल को बिगाड़ सकता है जिसमें वो अफगानिस्तान को अपने पांचवें सूबे की तरह इस्तेमाल करने का मंसूबे पाले बैठा है..पाकिस्तान की कोशिश है कि पिछले साल अमेरिका की अफगानिस्तान से वापसी के बाद से भारत को अफगानिस्तान में घुसने ना दिया जाए..और अफ्गानिस्तान की धझरती को भारवि विरोधी आतंकवादी संगठनों का अड्डा बना दिया जाए..इससे पहले तालिबान के पहले शासनकाल काठमांडू के हाइजैक हुई भारत की फ्लाइट को कंधार में ही उतार कर भत्रारत सरकरा से सौदेबाजी की गई ती जिसके तहते खूंकार आतंकी मसूद अजहर की रिहाई हुई थी और उसने रिहा होने के बाद जैश ए मोहमम्द जैसाी खूंखार संगठन बनाकर भारत पर कई बड़े आतंकी हमलों कतो अंजाम दिया. साल 2019 में पुलवामा में हुआ हमाला भी मसूद अजहर की ही साजिश थी..पाकिस्तान की कोशिश है के तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान में ऐसे ही अतंकवादी संगठनों के कैंप्स बनाकर भारत को नुकसान पहुंचाया जाए लेकिन तालिबान के साथ बारत की इस बातचीत से उसे अपने इरादों लपर पानी फिरता नजर आ रहा है..
अफगानिस्तान में भारत की मौजूदगी पाकिस्तान कतो हमेशा से ही खलती रही है..तालिबान के सत्ता से हटने के बाद जब अमेरिका ने अफागनिस्तान में हामिद करजई की सरकरा बनवाई थी तब भारत ने बड़े पैमाने पर अफ्गानिस्तान के विकास कार्यों में भागीदारी की थी.अफगानिस्तान की संसद भी भारत ने ही बनाई..इसी दौरान साल 2008 में अफागानिस्तान में भारत के दूतावास पर एक आतंकी हमला भी हुआ जिसमें 58 लोगों की जान गई थी..बाद में खुलासा हुआ कि हमला पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के ही इशारे पर हुआ था..यानी पाकिस्तान अफगानिस्तान में भारत की एंट्री को रोकने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है..और अब भारत के इस नए दांव को लेकर पाकसितान फिर से आगबबूला हो चुका है