कर्नाटक में हिजाब विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस पूरे विवाद में दो संगठन ऐसे हैं, जो सबसे ज्यादा चर्चा में हैं...वो हैं कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) और दूसरा PFI यानि इस्लामिक कट्टरपंथी संस्था पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया...सीएफआई कट्टरपंथी PFI की ही स्टूडेंट विंग है, जिसे बैन करने की मांग कर्नाटक के शिक्षा मंत्री कर रहे हैं..उनका कहना है कि इस विवाद में कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) की भूमिका की जांच की जा रही है. सीएफआई PFI की छात्र शाखा है. पीएफआई को बैन किए जाने की बात की जा रही है. बता दें कि ऐसा नहीं है कि ये पहली बार हुआ है इससे पहले भी कई बार देश के अलग-अलग राज्यों में PFI को बैन करने की मांग की जा चुकी है.. तो आज के know this वीडियो में हम आपको बताएंगे कि आखिर ये PFI है क्या? और ये इतना विवादित क्यों है बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ..
पीएफआई एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है. ये केरल से संचालित होता है. पीएफआई की स्थापना 1993 में बने नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट से निकलकर हुई है. 1992 में बाबरी मस्जिद ढहने के बाद नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट नाम से एक संगठन बना था. 2006 में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट का पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया में विलय हो गया. केरल में पीएफआई की मजबूत स्थिति है. हालांकि वो पूरे देश में फैले हुए हैं.
एनआईए के मुताबिक देश के 23 राज्यों में पीएफआई की पैठ है. केरल और कर्नाटक में इन्होंने अपने राजनीतिक संपर्क भी बना लिए हैं. जब दिल्ली और देश के कई राज्यों में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे, तब भी उसके पीछे पीएफआई (PFI) का हाथ बताया गया था. यूपी में तब पुलिस ने पीएफआई के कई सदस्यों को गिरफ्तार किया था.. हालांकि ये खुद को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला संगठन बताता है. लेकिन सच्चाई इसके बिलकुल उलट है...
वहीं PFI और इससे जुड़े विवादों की बात करें तो पीएफआई के बारे में कहते हैं कि ये सिमी यानी स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया का बी विंग है. नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी इस संगठन के ISIS और सिमी के साथ संपर्कों की तलाश करता रहा है..पीएफआई के कुछ सदस्य पहले सिमी के सक्रीय कार्यकर्ता रह चुके हैं. सिमी 1977 में बना था. 2006 में उस पर बैन लगा दिया गया. इसी के फ़ौरन बाद ही शोषित मुसलमानों, आदिवासियों और दलितों के अधिकार के नाम पर पीएफआई का निर्माण कर लिया गया था. संगठन की कार्यप्रणाली सिमी से मिलती जुलती थी. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पीएफआई के राष्ट्रीय महासचिव अब्दुल रहमान पहले सिमी का राष्ट्रीय सचिव रह चुका है. जबकि पीएफआई का राज्य संगठन सचिव अब्दुल हमीद इसके पहले 2001 में सिमी में इसी पद पर था.
इसके अलावा पीएफआई के ऊपर और भी कई तरह के आरोप हैं. आरोप है कि इस संगठन का हाथ कई राजनीतिक हत्याओं और धर्म परिवर्तन के मामलों में भी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक पीएफआई का नाम लव जिहाद के मामलों में भी सामने आया है. केरल में 2017 में पुलिस ने एनआईए को लव जिहाद के 94 मामले सौंपे थे. बताया जाता है कि लव जिहाद के इन मामलों के पीछे पीएफआई के 4 सदस्यों का हाथ था. एनआईए को शक था कि 94 शादियों में से 23 पीएफआई ने अपनी निगरानी में करवाई थी.
हिजाब विवाद में एक बार फिर PFI का नाम सामने आया है. एक बार फिर इसे बैन करने की मांग उठने लगी है.