नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस की मुश्किलें कम होती नहीं दिखाई दे रहीं। राहुल गांधी आज ईडी के सामने पेश हुए। चूंकि मामला मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है, इसलिए ED ने PMLA की धारा 50 के तहत राहुल गांधी के बयान दर्ज किए। इस मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को ईडी ने समन किया है, लेकिन सोनिया गांधी इस समय कोविड पॉजिटिव हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। ईडी के सामने राहुल गांधी की पेशी को कांग्रेस ने राजनीति से जोड़ दिया है। कांग्रेस का आरोप है कि इस मामले में कांग्रेस के सीनियर नेताओं को केंद्र की मोदी सरकार बेवजह परेशान कर रही है और बदले की कार्रवाई की जा रही है। कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि वो किसी भी हालत में झुकेंगे नहीं। कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने इसको लेकर प्रदर्शन किया है. प्रदर्शन कर रहे कई नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया है।
सबसे पहले हम आपको बता दें कि ‘नेशनल हेराल्ड’ क्या है? दरअसल ये एक अखबार का नाम है। 1938 में कांग्रेस पार्टी ने एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (AJL) बनाई थी, इसी कंपनी के द्वारा नेशनल हेराल्ड अखबार निकाला जाता था।
कांग्रेस पार्टी ने जो AJL कंपनी बनाई थी उस पर 90 करोड़ से ज्यादा का कर्ज हो गया था। इस कर्ज को खत्म करने के लिए एक और कंपनी बनाई गई, जिसका नाम था ‘यंग इंडिया लिमिटेड’। इस कंपनी में राहुल और सोनिया गांधी की हिस्सेदारी 38-38 फीसदी थी। यंग इंडिया को AJL के 9 करोड़ शेयर दिए गए, कहा गया कि इसके एवज में यंग इंडिया AJL की देनदारियां चुकाएगी, लेकिन शेयर की हिस्सेदारी ज्यादा होने की वजह से यंग इंडिया को मालिकाना हक मिला। AJL की देनदारियां चुकाने के लिए कांग्रेस ने जो 90 करोड़ का लोन दिया था, वो बाद में माफ कर दिया गया। 2012 में पूर्व राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने गांधी परिवार पर 55 करोड़ की गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए। सोनिया और राहुल गांधी के खिलाफ केस दर्ज कराया था।
बता दें कि ED ने राहुल और सोनिया गांधी पर ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ एक्ट के तहत केस दर्ज किया है और इसी एक्ट की 50 धारा के तहत पूछताछ के लिए बुलाया गया। अब बात करें मनी लॉन्ड्रिंग की तो ब्लैक मनी को व्हाइट मनी में कन्वर्ट करने की प्रक्रिया है। ब्लैक मनी वो पैसा होता है जिसकी कमाई का कोई सोर्स नहीं होता, और ना ही उस पर टैक्स दिया जाता है। इसका ज्यादातर इस्तेमाल अवैध गतिविधियों में किया जाता है। मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए ड्रग डीलर से लेकर बिजनेसमैन, भष्ट अधिकारी, माफिया, नेता तक करोड़ों से लेकर अरबों रुपए तक के फ्रॉड करते हैं।
केस में अब तक क्या-क्या हुआ?
1 नवंबर 2012 को दिल्ली कोर्ट में सुब्रमण्यम स्वामी ने केस दर्ज कराया, जिसमें सोनिया-राहुल के अलावा मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे और सैम पित्रोदा आरोपी बनाए गए।
26 जून 2014 को सोनिया-राहुल समेत सभी आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया।
1 अगस्त 2014 के ED ने मामले का संज्ञान लेते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया।
मई 2019 में इस केस से जुड़ी 64 करोड़ की संपत्ति को ED ने जब्त किया।
19 दिसंबर 2015 को सोनिया, राहुल समेत सभी आरोपियों को दिल्ली पटियाला कोर्ट ने जमानत दे दी।
9 सितंबर 2018 को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में सोनिया और राहुल को करारा झटका दिया था। कोर्ट ने आयकर विभाग के नोटिस के खिलाफ याचिका खारिज कर दी थी।
कांग्रेस ने इसे सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी, लेकिन 4 दिसंबर 2018 को कोर्ट ने कहा कि आयकर की जांच जारी रहेगी।
12 अप्रैल 2022 को ED ने कांग्रेस के 2 बड़े नेता पवन बंसल और मल्लिकार्जुन खड़गे को भी जांच में शामिल कर लिया।
एक बार फिर से ईडी के समन की वजह से राहुल और सोनिया गांधी समेत कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं।