दिल्ली के जहांगीरपुरी में शनिवार को हनुमान जयंती की शोभा यात्रा जो-जो हुआ वो किसी से छिपा नहीं है. दिल्ली के जहांगीरपुरी में शनिवार को हनुमान जयंती की शोभा यात्रा पर पथराव के बाद इलाके में तनाव फैल गया. दो पक्षों के बीच हुए इस हिंसक बवाल में 8 पुलिसकर्मियों समेत कई लोगों घायल हो गए। हिंसा पर उतारू भीड़ ने घरों और दुकानों में तोड़फोड़ की और कई गाड़ियों को आग लगा दी. अब तक पुलिस 23 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. जिसमें 2 नाबालिक भी शामिल हैं। वहीं मामले की निष्पक्ष जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. इस बीच BJP ने जहांगीपुरी हिंसा के पीछे रोहिंग्या मुस्लिमों का हाथ होने का आरोप लगाया है.. कुलमिलाकर इस पूरे मामले ने अब सियासी रूप ले लिया है. तो आज के know this वीडियो में हम आपको बताएंगे कि रोहिंग्या मुस्लिम कौन होते हैं? ये कहां से आए और भारत में क्यों बस गए? साथ ही बताएंगे कि हिंसा में रोहिंग्या के शामिल होने की बात में कितनी सच्चाई है बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
रोहिंग्या ऐसा समूह है जो एक स्टेटलेस या राज्यविहीन जातीय समूह है. जिसमें सबसे ज्यादा लोग इस्लाम को मानने वाले हैं.और ये म्यांमार के रखाइन प्रांत से आते हैं. इस समूह के लोग रोहिंग्या भाषा बोलते हैं जो म्यांमर में सबसे ज्यादा बोली जाती है.1982 में इनसे नागरिकता छीन ली गई थी. इनसे सरकारी नौकरी और शिक्षा समेत कई अधिकार ले लिए गए थे. इसके बाद से देश में रोहिंग्याओं के खिलाफ हिंसा हुई. 2017 में हुए रोहिंग्या के नरसंहार से पहले म्यांमार में उनकी आबादी करीब 14 लाख थी..2017 में हुए रोहिंग्या के नरसंहार बाद इन्होंने देश छोड़ना शुरू कर दिया. भारत और बांग्लादेश समेत दूसरे पड़ोसी देशों में ये अपना ठिकाना तलाशने लगे. अभी बांग्लादेश में इनकी संख्या 13 लाख से अधिक है. इसलिए इन्हें बांग्लादेशी मुस्लिम भी कहा जाने लगा है.
बता दें कि यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजीज यानी UNHRC के मुताबिक, दिल्ली में 1 हजार रोहिंग्या शरणार्थी रजिस्टर्ड हैं. ये आंकड़े तो ऑफिशियल हैं, हालांकि Real आंकड़ा इससे ज्यादा हो सकता है. दिल्ली में ज्यादातर ये मजदूरी का काम करते हैं. यहां से प्रवासी के तौर पर आए रोजगार तलाशने के बाद यहां बसना शुरू हो गए. यहां इनकी संख्या बढ़ रही है. दिल्ली के कई ऐसे इलाके हैं जहां इनकी आबादी ज्यादा है. इनमें जसोला, कंचन विहार, श्रम विहार, यमुना का किनारा और मदरपुर खादर शामिल है.
भारत में 2012 के बाद से रोहिंग्या मुस्लिमों की संख्या तेजी से बढ़ी है. गृह मंत्रालय ने, UNHRC के हवाले से बताया कि भारत में दिसंबर 2021 तक 18 हजार रोहिंग्या मुस्लिमों के होने की जानकारी मौजूद है. सरकार भारत में आने वाले रोहिंग्या को 'अवैध अप्रवासी' और 'राष्ट्रीय सुरक्षा' के लिए खतरा बता चुकी है.
इसीलिए संयुक्त राष्ट्र की ओर से रोहिंग्या को शरणार्थी का दर्जा दिए जाने के बाद भी भारत सरकार उन्हें अवैध अप्रवासी की श्रेणी में रखती है.पिछले कुछ सालों से रोहिंग्या का मुद्दा भारतीय राजनीति में बहुत गर्म रहा है.. BJP रोहिंग्या और अवैध बांग्लादेशियों को देश से निकालने की मांग करती रही है.. केंद्र सरकार भले ही रोहिंग्या के किसी आधिकारिक कैंप से इनकार करे, लेकिन दिल्ली में रोहिंग्या की कई अनौपचारिक बस्तियां और कैंप बने हैं.. जहांगीरपुरी हिंसा के पीछे रोहिंग्या मुस्लिमों का हाथ था इसकी बात करें तो हिंसा के दौरान दंगाइयों ने दिल्ली पुलिस के सब-इंस्पेक्टर मेदालाल मीणा पर गोली चलाई थी. उनका कहना है कि जैसे ही शोभा यात्रा C ब्लॉक में मस्जिद के पास पहुंची, उस पर पथराव शुरू हो गया.. उन्होंने कहा कि दंगाई नारे लगा रहे थे और उनकी बोली काफी हद तक बांग्लादेशियों जैसी थी.. रिपोर्ट्स के मुताबिक, जहांगीरपुरी के जिस C ब्लॉक में ये हिंसा हुई, वहां बांग्लादेशी मुस्लिमों की आबादी सबसे ज्यादा है और वहां कथित रूप से रोहिंग्या भी रहते हैं