मंदिर हो या मस्जिद... अब नहीं बजेगा तेज आवाज लाउडस्पीकर।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने तेज आवाज लाउडस्पीकर के खिलाफ बड़ा फरमान सुनाया है...योगी राज में खुदा की इबादत हो या भगवान की प्रार्थना, दोनों भोंपू की तेज आवाज में नहीं की जा सकेगी... तो आज के KNOW THIS वीडियो में आपको बताएंगे महाराष्ट्र में चल रहे लाउडस्पीकर विवाद के बीच योगी सरकार ने ऐसा फैसला क्यों लिया?.. आपको बताएंगे अब लाउडस्पीकर को लेकर क्या नए नियम जारी किए गए हैं.. साथ ही तेज आवाज लोगों की जिंदगी पर किस तरह का असर डालती है.. तो आखिर तक बने रहिए इस वीडियो में....
महाराष्ट्र से लेकर यूपी तक चल रहे लाउडस्पीकर विवाद के बीच योगी सरकार ने बड़ी पहल की है... सरकार ने यूपी में मंदिर-मस्जिद समेत सभी धर्मस्थलों पर तय मानकों के मुताबिक लाउडस्पीकर को कम आवाज में बजाने का आदेश दिया है.. नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर इन्हें उतारने का आदेश दिया है... सीएम योगी के आदेश के बाद अब तक 100 से ज्यादा लाउडस्पीकर उतारे जा चुके हैं.. जबकि हजारों लाउडस्पीकर की आवाज को कम कर दिया गया है..सरकार ने सभी थानों को आदेश दिया है कि अपने-अपने क्षेत्र के धर्मस्थलों की सूची बनाएं जहां ध्वनि मानकों का पालन नहीं हो रहा।
बता दें कि पिछले दिनों रामनवमी और हनुमान जयंती पर देश के कई शहरों में हिंसा और तनाव को देखते हुए योगी सरकार सतर्क हो गई थी.. सीएम योगी ने लोगों से त्योहार के मौके पर शांति बनाए रखने की अपील की थी, इसके साथ ही किसी भी धार्मिक जुलूस या शोभायात्रा के लिए शपथ पत्र लेने और धार्मिक स्थलों पर नियमों का पालन कराए जाने के आदेश दिए थे.
योगी सरकार ने धार्मिक स्थलों पर चाहे वे मंदिर हों या मस्जिद या किसी अन्य धर्म-समुदाय के स्थल.. लाउडस्पीकर के प्रयोग के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है.. नई गाइडलाइन के मुताबिक लाउडस्पीकर की आवाज उस धार्मिक स्थल के परिसर से बाहर नहीं जानी चाहिए... अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने जिला स्तर पर धार्मिक स्थलों में नियमों का पालन करवाने और समीक्षा रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया है.. सरकार के आदेश में कहा गया है कि धर्मगुरुओं से अधिकारी बातचीत करें और अवैध लाउडस्पीकरों को हटवाया जाए.. साथ ही ध्वनि के निर्धारित मानकों का पालन कराया जाए..
बता दें कि करीब 17 साल पहले साल 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने लाउडस्पीकर बजाने पर आदेश देते हुए कहा था...
<<GFX IN>> ऊंची आवाज यानी तेज शोरगुल सुनने के लिए मजबूर करना मौलिक अधिकार का हनन है... हर शख्स को शांति से रहने का अधिकार है... लाउडस्पीकर या तेज आवाज में अपनी बात कहना अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार में आता है लेकिन ये आजादी जीवन के अधिकार से ऊपर नहीं हो सकती. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि सार्वजनिक स्थल पर लगे लाउडस्पीकर की आवाज क्षेत्र के लिए तय शोर के मानकों से ज्यादा नहीं होगी... जहां भी तय मानकों का उल्लंघन हो, वहां लाउडस्पीकर और उपकरण जब्त करने के बारे में राज्य प्रावधान करे.
<<GFX OUT>>
इंसान के कानों के लिए 85 db की तीव्रता वाली ध्वनि को अंतिम माना गया है... इससे अधिक आवाज को सुनने से आपके कान की सुनने की शक्ति और स्वास्थ्य पर भी इसका निगेटिव इफेक्ट पड़ता है... तेज आवाज की वजह से कान बजने की समस्या, कान से खून आने का खतरा होना, कान का पर्दा फटने का खतरा, चक्कर आना यानि डिज़ीनेस, सिर चकराना यानि वर्टिगो, बोलने में तकलीफ होना, मानसिक तनाव या सिरदर्द, और कान की नर्व को नुकसान पहुंचता है जिसकी वजह से बहरापन तक हो सकता है.
कई देशों में लाउडस्पीकर को लेकर नियम काफी सख्त हैं.. तय मानकों से तेज शोर होने पर जुर्माना लगाने और लाउडस्पीकर जब्त होने की कार्रवाई की जाती है.. लेकिन हमारे देश में लाउडस्पीकर को लेकर सरकार की तरफ से कोई कानून नहीं बनाया गया, जिसको लेकर समय-समय पर इसकी मांग उठती रहती है.