प्यू रिसर्च सेंटर अमेरिका का राजधानी वॉशिंगटन डीसी में मौजूद एक non profitable एजेंसी है. जिसने भारत में हर 10 साल पर कराए जाने वाले सेंसस और नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आधार पर इस रिपोर्ट को तैयार किया है. रिपोर्ट में अलग-अलग धर्म की आबादी में आने वाले बदलाव के बारे में बताया गया है. दावा किया गया है कि हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई समेत लगभग सभी धार्मिक समूहों की प्रजनन दर में काफी कमी आई है.आप जानते हैं कि भारत में सबसे बड़ी आबादी हिंदुओं की है और ऐसी आम धारणा है कि देश में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है. लेकिन इस प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट में बताया गया है कि 1992 से 2015 के बीच सभी धार्मिक समूहों की फर्टिलिटी रेट में कमी आई है. जिसमें मुस्लिम महिलाएं भी शामिल हैं.इसे इस तरह से समझिये. 1992 में एक मुस्लिम महिला के 4 से ज्यादा बच्चे होते थे लेकिन 2015 में ये आंकड़ा घटकर 2 पर आ गया. इसी तरह हिंदू महिलाओं के औसतन 3 से ज्यादा बच्चे होते थे, लेकिन 2015 तक ये दर गिरकर 2.1 हो गई. ईसाई की फर्टिलिटी रेट 2.9 से घटकर 2, बौद्ध की 2.9 से घटकर 1.7, सिख की 2.4 से घटकर 1.6 और जैन आबादी का प्रजनन दर 2.4 से घटकर 1.2 पर आ गया. हालांकि सभी धार्मिक समूहों की तुलना करें तो मुसलमानों की प्रजनन दर अभी सबसे ज्यादा है.