गोवा में चुनाव चल रहे हैं. जाहिर है वहां राजनीति तेज है. इसी कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी ने गोवा के बारे में ऐसा कुछ कह दिया कि गोवा का इतिहास खंगाला जाने लगा. संसद के बजट सत्र में भाषण देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अगर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू चाहते, तो गोवा को 1947 में जब भारत को आजादी मिली उसके कुछ घंटों के भीतर मुक्त किया जा सकता था, लेकिन राज्य को पुर्तगाली शासन से मुक्त होने में 15 साल लग गए. यहां तक की अपनी चुनावी रैलियों में भी प्रधानमंत्री मोदी ने इसी का जिक्र किया. तो आज के know this video में हम आपको बताएंगे कि क्या वाकई नेहरू ने गोवा को आजादी दिलाने में देरी की? साथ ही बताएंगे कि गोवा की आजादी से जुड़ा इतिहास क्या कहता है बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
पीएम मोदी गोवा के मापुसा में भाजपा की चुनावी रैली में भाषण दे रहे थे. जहां उन्होंने कांग्रेस को घेरते हुए गोवा की आजादी में देरी के लिए कांग्रेस की सरकार को कटघरे में लिया..
ये हकीकत है कि गोवा को पुर्तगालियों से आजादी मिलने में देरी हुई. 15 साल की देरी. भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ जबकि गोवा को 19 दिसंबर, 1961 को आजादी मिली थी और वह 30 मई, 1987 तक केंद्रशासित प्रदेश गोवा, दमन एवं दीव का हिस्सा था। इसके बाद वह अलग राज्य बन गया..
पूरी दुनिया में अपने खूबसूरत बीचों के लिए फेमस गोवा पर 1510 में पहली बार पुर्तगालियों ने कब्ज़ा किया..उसके बाद लगभग 450 साल तक उन्होंने यहां शासन किया..19 दिसंबर 1961 को गोवा पुर्तगालियों से आजाद हुआ था, लेकिन वो इसे इतनी आसानी से छोड़ने को तैयार नहीं थे. इसके लिए भारत को सख्त रवैया अपनाना पड़ा था..हालांकि भारत ने आजादी के बाद पुर्तगालियों से अनुरोध किया था लेकिन उन्होंने इस अनुरोध को ठुकरा दिया. गोवा को आजाद कराने के लिए भारत के पास दो ही रास्ते थे, पहला युद्ध के जरिए गोवा पर कब्जा कर लिया जाए या फिर सत्याग्रह से इसकी आजादी की मांग की जाए. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु और गांधी जी भी दूसरा वाला विकल्प ही बेहतर समझते थे..
भारत सरकार ने साल 1961 में ठान लिया कि अब पुर्तगालियों के चंगुल से गोवा को आजाद कराना है, जब नवंबर महीने में पुर्तगाली सैनिकों ने गोवा के मछुआरों पर गोलियां चलाई, जिसमें एक मछुआरे की मौत भी हो गई.. इसके बाद तो सारी कहानी ही बदल गयी..भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री वी. के. कृष्ण मेनन और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने आपातकालीन बैठक की और आखिरकार 17 दिसंबर को यह फैसला लिया गया कि गोवा को आजाद कराने के लिए वहां 30 हजार भारतीय सैनिकों को 'ऑपरेशन विजय' के तहत भेजा जाएगा.. भारत सरकार के आदेश के बाद भारतीय सेना ने यहां ऑपरेशन शुरू किया और पुर्तगाली सेना ने कुछ विरोध के बाद घुटने टेक दिए थे और पुर्तगाल के गवर्नर ने सरेंडर फॉर्म पर साइन कर गोवा छोड़ दिया था..इस तरह गोवा 450 साल बाद पुर्तगालियों से आजाद हो गया और भारत का एक अभिन्न अंग बन गया..
माना जाता है कि 16वीं शताब्दी में पुर्तगाली यहां खोज के उद्देश्य से आए थे.. जिसके बाद उन्होंने गोवा पर कब्जा कर लिया था और फिर कई सौ सालों तक यहां राज किया. गोवा को आजादी मिलने में देरी हुई ये सच है. लेकिन ये भी उतना ही सच है कि नेहरू के प्रयासों की वजह से गोवा 1961 में आजाद हुआ.