क्या आप भी उन प्राइवेट नौकरीपेशा लोगों में से हैं जिनकी प्रोफेशनल लाइफ ने ऑफिस के बाद भी उनका जीना मुश्किल कर रखा है? जिनके ऑफिस का काम उनका पीछा करते हुए उनके घर तक पहुंच जाता है? बॉस छुट्टी के दिन भी फोन और EMAILS कर इतना तंग कर देता है कि दिल से आवाज निकलती है कि भगवान बस इस बॉस से निजात दिला दे? अगर इन सारे सवालों का जवाब हां है तो हम अब जो आपको बताने जा रहे हैं वो सिर्फ आपके लिए है.
दरअसल बात कुछ ऐसी है कि संसद के विंटर सेशन में एक बिल पेश हुआ है. जिसका नाम है 'राइट टू डिस्कनेक्ट'. know this के इस वीडियो में हम आपको 'राइट टू डिस्कनेक्ट' बिल के बारे में पूरी जानकरी देंगे.
'राइट टू डिस्कनेक्ट' को पहली बार लोकसभा में 2019 में पेश किया गया था. नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी की नेता और सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा के सामने ये प्रस्ताव रखा था. बता दें कि अगर ये बिल पास होता है तो इससे प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. इस बिल के प्रस्ताव की सबसे ख़ास बात की जाए तो वो ये है कि अगर कोई employee छुट्टी पर रहने या ऑफिस आवर से बाहर रहने पर ऑफिस से आने वाले फोन को रिसीव नहीं करता है तो उन पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाएगी.