इंटरनेट के इस दौर में सबसे महत्वपूर्ण हो गया है आपका डेटा. आपको पता भी नहीं चलता कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते वक्त आप अपने कितने ही पर्सनल डेटा उस कंपनी के साथ शेयर कर चुके होते हैं. फेसबुक, ट्विटर इंस्टा और यू ट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के पास आपके नाम के साथ उम्र आपका लोकेशन और न जाने कितने पर्सनल डेटा उनके पास होते हैं. लोगों के इस पर्सनल डेटा का कई तरह से इस्तेमाल किया जाता है. नो दिस के आज के वीडियो में हम आपको बताएंगे कि कितना महत्वपूर्ण बन गया है डेटा और इसे रेगुलेट करने के लिए कैसे लाया जा रहा है डेटा प्रोटेक्शन बिल. आप बने रहिए हमारे साथ.
आपके पर्सनल डेटा का इस्तेमाल सोशल मीडिया कंपनियां कई तरह से कर सकती हैं. इसलिए उस डेटा का प्रोटेक्शन बहुत जरूरी हो जाता है. इसलिए बात को ध्यान में रखते हुए संसद में डेटा प्रोटेक्शन बिल लाया गया है. कुछ दिन पहले ही संसद की संयुक्त संसदीय समिति यानी कि JPC ने Rajya Sabha में पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल पर अपनी रिपोर्ट पेश की थी..
सबसे पहले जानते हैं कि
क्या है डेटा प्रोटेक्शन बिल?
भारत दुनिया भर में सबसे बड़े इंटरनेट बाजारों में से एक बन गया है. ऐसे में सोशल मीडिया और Data Protection पर एक कानून बनाने की जरूरत है. जिसको लेकर ही संसदीय समीति ने डेटा लीक को रोकने के लिए कानून में कई तरह के प्रावधानों की सिफारिश की है. इसमें सोशल मीडिया के लिए रेगुलेटर बनाने की सिफारिश भी की गयी है. समिति के मुताबिक जब तक कंपनियां भारत में अपना ऑफिस ना बना लें, तब तक उन्हें भारत में ऑपरेट ना करने दिया जाए..अगर इन प्रावधानों को सरकार कानून में शामिल कर लेती हैं तो फिर फेसबुक, इंस्टाग्राम, google और amazon जैसी कंपनियों को भारत में डेटा को लेकर बेहद सतर्क रहना होगा.. बता दें कि इस बिल में 2019 के ही सारे प्रावधान हैं. साथ ही इसे यूरोपियन यूनियन जेनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन के तहत तैयार किया गया है.
अब सिलसिलेवार ढंग से आपको पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल की खासियत बताते हैं.
पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल की खासियत
* इस बिल के ड्राफ्ट की जो सबसे खास बात है वो ये है कि इसमें पर्सनल डेटा प्रोटक्शन, करेक्ट इनएक्युरेट डाटा, डाटा मिटाने, अपडेट, पोर्ट या ट्रांसफर करने से जुड़े प्रावधानों पर नियम बनाने की बात है. पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल एक अथॉरिटी की स्थापना की बात करता है जिसके जरिए डाटा अथॉरिटी ऑफ इंडिया को बनाया जाए. अथॉरिटी में एक अध्यक्ष होगा और 6 सदस्य होंगे जिन्हें केंद्र सरकार नियुक्त करेगी. इस अथॉरिटी का काम डाटा नियमों पर नजर रखना, पर्सनल डेटा के दुरुपयोग को रोकना, डाटा प्रोटेक्शन पर जागरूकता फैलाना होगा.
बता दें कि कमेटी ने सुझाव दिया है कि पीडीपी बिल पर्सनल और नॉन पर्सनल डाटा दोनों को शामिल करे जब तक की अलग कानून न बन जाएं. इसके साथ ही इस ड्राफ्ट में लोगों को शिकायत का अधिकार मिलने का भी जिक्र है. अगर इसका उल्लंघन होता है तो अथॉरिटी से शिकायत की जा सके. बता दें कि डाटा संरक्षण के लिए नियम और शर्तें तय करने की बात भी इस बिल के ड्राफ्ट में शामिल है. इसमें कहा गया है कि न्याय अधिकारी की नियुक्ति हो जो मामलों की सुनवाई करे और डाटा लीक होने की दिशा में संबंधित पार्टी पर एक्शन ले. ऐसी और भी कुछ जरूरी बातें हैं जो इस बिल के ड्राफ्ट में कही गईं हैं..
सोशल मीडिया पर क्या होगा असर?
अगर ये बिल पारित हो जाता है तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पब्लिशर्स की कैटेगरी में रखे जाएंगे. जिससे उन पर available होने वाले सभी materials के लिए उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया जा सके.. जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया की किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को तब तक भारत में ऑपरेट करने की मंजूरी नहीं मिलेगी जब तक कि वो देश में एक आधिकारिक office न बना लें. बता दें कि जेपीसी ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की तरह ही एक स्टैचुअरी मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी बनाने की मांग की है. कुलमिलाकर इसका मकसद सभी तरह के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नजर रखने का है.
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