भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर IAC Vikrant जल्द ही नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल होने वाला है. इसके साथ ही विक्रांत पर तैनात करने के लिए समुद्री लड़ाकू जेट खरीदने की तैयारी भी जोर शोर पर है. इसी कड़ी में दुनिया की दो बड़ी एविएशन कंपनी, फ्रांस की डसॉल्ट और अमेरिका की बोइंग ने भारत को अपने-अपने फाइटर जेट ऑफर किए हैं. हाल ही में गोवा में फ्रांस के लड़ाकू विमान राफेल मरीन का परीक्षण भी किया गया है. आज वीडियो में हम आपको इस लड़ाकू जेट के बारे में सब कुछ बताएंगे. राफेल मरीन की क्या खसियत है... ये नौसेना की ताकत में किस तरह इजाफा करेगा... इसके साथ ही राफेल मरीन के competitor बोइंग एफ-18 के बारे में भी बात करेंगे.... जानेंगे कि Vikrant के लिए कौन सा लड़ाकू जेट रेस में आगे है.
क्या है Rafale-M की खासियत ?
Rafale-M को भारतीय वायुसेना में इस्तेमाल होने वाले राफेल जेट का marine version माना जा रहा है. हालांकि Rafale-M का नोज व्हील, बड़ा अरेस्टर हुक, अंडरकारेज और integrated ladder जैसे फीचर्स इसे अलग बनाते हैं. भारत के मुताबिक किए गए बदलावों के साथ ये राफेल का latest version है. डबल इंजन Rafale-M स्की टेक-ऑफ के लिए चार-पांच टन तक external load ले जा सकता है. कम internal fuel के साथ भी ये मिशन की आवश्यकताओं के आधार पर ज्यादा हथियार ले जाने में सक्षम है. परमाणु सक्षम राफेल-एम हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल उल्का, हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल स्कैल्प और हैमर प्रिसिजन गाइडेड गोला बारूद भी ले जा सकता है.
नौसेना के लिए क्यों जरूरी ?
फिलहाल भारतीय नौसेना मिग-29 का इस्तेमाल कर रही है, लेकिन इन विमानों में रखरखाव, सेवा उपलब्धता और तकनीकी कठिनाई से जुड़े ऐसे कई मुद्दे हैं जिसके चलते पिछले एक साल में तीन दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. इसलिए नौसेना भारत के पहले स्वदेशी विमान वाहक आईएनएस विक्रांत को अपने बड़े में शामिल करने से पहले रूसी मिग-29 को बदलना चाहती है और इस बार नौसेना डबल-इंजन फाइटर जेट के लिए जोर दे रही है.
कौन कौन रेस में शामिल ?
अगस्त, 2021 में अमेरिकी कंपनी बोइंग अपने एफ-18 सुपर हॉर्नेट लड़ाकू विमान का आधिकारिक तौर पर स्की जंप परीक्षण का प्रदर्शन कर चुकी है. हालांकि एक्सपर्ट्स के मुताबिक राफेल-एम कई कारणों के चलते अमेरिका के F-18 हॉर्नेट लड़ाकू विमान की तुलना में बेहतर है. बताया जा रहा है कि राफेल-एम F-18 के विपरीत विक्रांत की लिफ्ट बे में फिट हो सकता है. वहीं एफ-18 folded wings के साथ भी विक्रांत की लिफ्ट में फिट नहीं हो सकता है.
देश का पहला स्वदेशी विमान वाहक आईएसी विक्रांत फिलहाल समुद्री परीक्षण के अंतिम चरण में है और इसके अगस्त तक नौसेना में शामिल होने की उम्मीद है और उससे पहले ही नौसेना लड़ाकू विमान का बैच खरीदने की तैयारी में है. अब तक इस डील के लिए चार विमानों का नाम सामने आया है. इसमें फ्रांस की डसॉल्ट कंपनी का राफेल, अमेरिका की बोइंग का एफ -18 सुपर हॉर्नेट, रूस का एमआईजी -29 और स्वीडन की साब कंपनी से ग्रिपेन शामिल हैं. F-18, राफेल और MIG-29K दो इंजन वाले जेट हैं, वहीं ग्रिपेन सिंगल इंजन वाला विमान है. संभावना है कि अगले कुछ महीनों में बाकी दावेदार भी टेस्टिंग के लिए अपने विमान भारत लाएंगे . ट्रायल पूरा होने के बाद तय किया जाएगा कि कौन सा फाइटर जेट लिया जाएगा.