System of Air Quality & Weather Forecasting & Research के मुताबिक, बुधवार को दिल्ली का एक्यूआई यानि एयर क्वालिटी इंडेक्स 379 दर्ज किया गया, जो बहुत ख़राब केटेगरी में आता है. वहीँ, रोहिणी, पटपरगंज, वजीरपुर, शाहदरा, आनंद विहार समेत दिल्ली के कुछ इलाकों में ये अभी भी 400 के पार है. इसके साथ ही दिल्ली में PM 2.5 का स्तर 222, जबकि PM10 का स्तर 362 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा. PM यानि पार्टिकुलेट मैटर. basically, एक लिक्विड ड्राप जिसमें सॉलिड पार्टिकल घुसे हुए हो. ये आपके शरीर में घुस जाए तो हार्ट और lungs से जुड़ी कई बीमारियों को जन्म दे सकता है. PM 2.5 यानि जिसके पार्टिकल का साइज़ 2.5 माइक्रोमीटर या उस से कम हो, ऐसे ही PM10 का मतलब जिसके पार्टिकल का साइज़ 10 माइक्रोमीटर या उस से कम हो.
PM यानि पार्टिकुलेट मैटर. basically, एक लिक्विड ड्राप जिसमें सॉलिड पार्टिकल घुसे हुए हो. ये आपके शरीर में घुस जाए तो हार्ट और lungs से जुड़ी कई बीमारियों को जन्म दे सकता है. PM 2.5 यानि जिसके पार्टिकल का साइज़ 2.5 माइक्रोमीटर या उस से कम हो, ऐसे ही PM10 का मतलब जिसके पार्टिकल का साइज़ 10 माइक्रोमीटर या उस से कम हो.
अब बात करते हैं उन कारणों की जिनकी वजह से ये प्रदूषण बढ़ता जा रहा है.
दिल्ली की ज़हरीली होती हवा के लिए कोई एक फैक्टर नहीं है. लगातार बढ़ते जा रहे प्रदूषण के पीछे के कई कारण हैं.
दिवाली पर रोक लगाए जाने के बावजूद भी दिल्ली और एनसीआर में जमकर पटाखे फोड़े गए. जिसका नतीजा ये रहा कि दिवाली के अगले दिन 6 नवंबर को दिल्ली में Air Quality Index 533 दर्ज किया गया.
इसके अलावा पड़ोसी राज्यों में पराली जलने के मामलों में भी काफी इजाफा देखा गया है जिससे प्रदूषण का स्तर पहले से कई गुना बढ़ गया. पराली के जलने से उठने वाला धुंआ, धूंध के साथ मिलकर हर साल दिल्ली की हवा को ज़हरीला बनाता है और लोग साफ सुथरी हवा के लिए तरसने लगते हैं. इस धुंए से अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मनरी डिसीज, फेफड़ों का कमजोर होना और कैंसर जैसी बीमारीयां तक हो सकती हैं..
इसके साथ ही गाड़ियों का प्रदूषण भी राजधानी और आसपास के इलाकों को गैस चैंबर बनाने के लिए जिम्मेदार है. इसके अलावा इंडस्ट्रीज और फैक्ट्ररियों से निकलने वाला धुआं, बढ़ते शहरीकरण, उद्य़ोग-धंधों के बढ़ने, मशीनों के इस्तेमाल बढ़ने, बिल्डिंग्स निर्माण और सड़कों के निर्माण के कारण भी हवा लगातार जहरीली होती जा रही है. जगह-जगह पर सड़कों पर खुलेआम कचरे को जलाया जा रहा है, जो हवा में जहर घोलने का काम करता है. साथ ही घरों और फैक्ट्रियों में कोयले के जलाने से भी जो धुआं निकलता है वो भी कहीं न कहीं पॉल्यूशन बढ़ने के कारणों में से एक है