“हम अपनी शर्तों पर दुनिया से बात करेंगे, दुनिया से हमें सलाह लेने की जरुरत नहीं“ रायसीना डॉयलाग में विदेश मंत्री एस जयशंकर के ये शब्द यूरोपीय देशों को नस्तर की तहर चुभ रहे होंगे... लेकिन भारत वासियों के लिए ये किसी संजीविनी से कम नहीं...भारत दुनिया को बता देना चाहता कि अब वो 20वीं सदी का भारत नहीं जो पश्चिमी देशों की कही हर बात आंख मूंदकर मान लेगा... ये 21वीं सदी का उभरता हुआ भारत है जो पश्चिमी देशों को बता देना चाहता कि अब वो इस मुगालते में ना रहें... गलती से भी भारत को कमजोर समझने की भूल ना कर बैठें... क्योंकि भारत इस 21वीं सदी की महाशक्ति के तौर पर तेजी से उभर रहा है... और वो दिन दूर नहीं जब उसकी पहचान विश्व गुरु के तौर पर होगी...
तो आज के KNOW THIS वीडियो में बात करेंगे भारत के विदेश मंत्री और फायर ब्रांड नेता एस.जयशंकर की... आखिरकार जयशंकर इतना तीखा क्यों बोलते हैं कि पश्चिमी देशों को मिर्ची लग जाती है? तो वीडियो में आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
भारत-अमेरिका के बीच 2+2 मीटिंग हो या दिल्ली का रायसीना डॉयलाग विदेश मंत्री एस जयशंकर पश्चिमी देशों को आड़े हाथों लेने का कोई मौका नहीं चूक रहे... दिल्ली में आयोजित रायसीना डॉयलाग में पश्चिमी देशों के पक्षपातपूर्ण रवैये पर एस. जयशंकर बिफर पड़े... उन्होंने कहा, भारत के आंतरिक और विदेश नीति से जुड़े मामलों में दुनिया दखल देना बंद करे... हम अपनी शर्तों पर दूसरे देशों से बातचीत करेंगे... हमें किससे बात करनी है या नहीं, किस देश से संबंध रखने हैं या नहीं... ये हम तय करेंगे कोई और नहीं...
यूरोपीय देशों को एस जयशंकर ने सख्त संदेश देते हुए कहा, आपको एशिया में जो कुछ गलत हो रहा है वो नहीं दिख रहा... पिछले 10 सालों से एशिया का माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है... भारत की सीमाओं को भी लगातार अशांति फैलाने और अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है... यूरोप उस वक्त क्यों अंसवेदनशील था जब बीजिंग एशिया को धमका रहा था... विदेश मंत्री यही नहीं रुके उन्होंने कहा, यूरोप को एशिया की तरफ देखने की जरूरत है....एशिया में आतंकवाद और अस्थिर सीमाएं जैसी समस्याएं हैं... हमें ये समझना होगा कि समस्याएं आने वाली नहीं बल्कि आ चुकी हैं.
विदेश मंत्री ने कहा, अगले 25 सालों में भारत ग्लोबलाइजेशन का सेंटर होगा…जब हम 75 सालों को पीछे मुड़कर देखते हैं तो सिर्फ बीते हुए 75 साल नहीं देखते, बल्कि वो 25 साल भी देखते हैं जो आने वाले हैं…हमने क्या पाया और किस चीज में हम नाकाम रहे? एक चीज जो हम दुनिया को बताने में कामयाब रहे वो ये कि भारत लोकतांत्रिक देश है..
रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर एस जयशंकर ने कहा कि युद्ध रोकने का सबसे आसान और प्रभावी तरीका यही है कि दोनों देश बातचीत की टेबल पर आ जाएं… रूस के साथ व्यापार को लेकर कहा, यूरोप को हमें सलाह देने की जरुरत नहीं क्योंकि हम किसी को सलाह देने नहीं जाते.
क्या है रायसीना डायलॉग?
दुनिया के अलग-अलग देशों के लोगों का एक मंच है, जहां वैश्विक हालात और चुनौतियों पर एक सार्थक चर्चा की जाती है। इसमें 100 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेते हैं। केंद्र सरकार ने रायसीना डायलॉग की शुरुआत 2016 में की थी। इसका आयोजन विदेश मंत्रालय की ओर से ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के सहयोग से किया जाता है।
कौन हैं एस जयशंकर?
एस जयशंकर एक तेज़-तर्रार डिप्लोमैट माने जाते हैं.. सितंबर 2014 में बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका का पहला दौरा किया उस वक्त जयशंकर अमेरिका में भारत के राजदूत थे... उन्होंने पीएम मोदी के दौरे की जिस तरह प्लानिंग की थी उससे मोदी काफी प्रभावित हुए.. बराक ओबामा ने 2015 में 26 जनवरी को भारत का दौरा किया था..इसमें भी एस जयशंकर की भूमिका बड़ी मानी जाती है.. मोदी कैबिनेट 2.0 में एस जयशंकर को विदेश मंत्री बनाया गया...तो स्पष्ट हो गया कि प्रधानमंत्री मोदी को सुषमा स्वराज की विरासत संभालने वाला तेज तर्रार नेता मिल गया है... एस.जयशंकर ने जिस मजबूती के साथ अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का पक्ष रखा है... उससे साबित हो गया है कि भारत को आंख दिखाना या दबाने की कोशिश करना बड़ी भूल होगी.