केंद्र सरकार के चार धाम प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी मिल चुकी है. कोर्ट ने देश की सुरक्षा के लिहाज से इस प्रोजेक्ट को ज़रूरी बताते हुए इसे मंजूरी दी है. प्रोजेक्ट के तहत उत्तराखंड के चार धामों- गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के लिए तीन डबल-लेन हाईवे बनाए जाएंगे. आज के इस वीडियो में हम आपको चार धाम प्रोजेक्ट के बारे में सब कुछ बताएंगे. चार धाम प्रोजेक्ट क्या है... ये विवादों में क्यों फंसा... इसके तहत क्या-क्या होगा... इसके बनने से चीन को कैसे चुनौती मिलेगी... और इससे देश को क्या फायदा होगा... इन सभी सवालों के जवाब के लिए जुड़े रहिए हमारे साथ.
क्या है चार धाम प्रोजेक्ट?
चार धाम रोड प्रोजेक्ट का उद्देश्य उत्तराखंड के चारों धामों- गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ के लिए सभी मौसमों में सुलभ और सुविधाजनक रास्ता देना है. दिसंबर 2016 में PM ने इस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी. प्रोजेक्ट के तहत 900 किलोमीटर सड़क पर काम किया जाना है, जिसका बजट करीब 12000 करोड़ रुपये बताया गया है. इस प्रोजेक्ट के जरिए ऋषिकेश से गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ को जोड़ने के लिए तीन नेशनल हाइवे बनाए जाने हैं. इन चारों धामों के लिए ऑल-वेदर कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए, जिन हाइवे का निर्माण किया जाना है उनमें-ऋषिकेश से माना, ऋषिकेश से गंगोत्री और टनकपुर से पिथौरागढ़ तक तीन हाइवे का निर्माण शामिल है.
देश की सुरक्षा के लिए क्यों ज़रूरी है ये प्रोजेक्ट ?
केंद्र सरकार चाहती है कि चारधाम हाईवे पर सड़कों की मौजूदा चौड़ाई 5.5 मीटर से बढ़ाकर 10 मीटर कर दी जाए. रक्षा मंत्रालय ने कोर्ट में तर्क दिया था कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के आसपास चीन की गतिविधि बढ़ने की चिंता के बीच सेना के लिए भारी वाहन, मशीनरी, हथियार, मिसाइल, टैंक, ब्रह्मोस मिसाइल समेत अन्य मिलिट्री संसाधनों को चीन की सीमा तक ले जाने के लिए चार धाम प्रोजेक्ट में चौड़ी सड़कों का निर्माण किया जाना जरूरी है. ये सड़कें ऐसी हैं जिस पर दो वाहनों का आमने सामने से गुजरना बहुत मुश्किल हो जाता है.
चीन को कैसे मिलेगी चुनौती?
चारधाम प्रोजेक्ट के तहत भारत की चीन तक पहुंच और आसान हो जाएगी. किसी भी मौसम में भारतीय सेना चीन से सटी सीमाओं पर पहुंच सकेगी. सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि चीन की तरफ से सीमा पर हवाई पट्टी, हेलीपैड, सैनिकों के लिए बिल्डिंग्स और रेलवे लाइन्स बनाई जा रही हैं. ऐसे में टैंक, रॉकेट लॉन्चर और तोप ले जाने वाले ट्रकों को इन सड़कों से गुजरना पड़ सकता है. इसलिए सड़क चौड़ी की जानी चाहिए. 1962 के भारत-चीन युद्ध को लेकर उन्होंने कहा था कि हमारे सैनिकों को सीमा तक पैदल चलना पड़ा था. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे भारतीय सेना को चीन को चुनौती देने में काफी मदद मिलेगी.
आम लोगों को क्या फायदा?
चार धाम यात्रा उत्तराखंड में पर्यटन की रीढ़ मानी जाती है. राज्य की अर्थव्यवस्था में इसका अहम रोल है. फिलहाल यात्रियों को सफर के दौरान कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. बारिश के मौसम में Landslide जैसे समस्याएं बढ़ जाती हैं. इससे यात्रियों के जानमाल को खतरा रहता है. प्रोजेक्ट के तहत चारधाम को जोड़ने वाले National Highways को चौड़ा, बेहतर और मजबूत किया जाना है. कहा जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट के कंप्लीट होने के बाद लगभग अगले 200 सालों तक इस रास्ते पर किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आएगी.