कैसे एयर इंडिया ने सरकार को किया टा-टा ?
केंद्र सरकार ने घाटे से जूझ रही सरकारी कंपनी एयर इंडिया की 100% हिस्सेदारी बेचने के लिए टेंडर मांगे थे. डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट के सचिव ने बताया कि एयर इंडिया की नीलामी में दो कंपनियों ने बोली लगाई थी. टाटा ग्रुप और स्पाइस जेट एयरलाइंस. सरकार ने टाटा संस के टेंडर को मंजूरी दी. जहां टाटा संस की बोली सबसे ज्यादा 18 हजार करोड़ रुपये की रही, वहीं स्पाइस जेट के संजय सिंह ने 15 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. एयर इंडिया की कमान मिलने के बाद टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा ने ट्वीट करते हुए कहा - वेलकम बैक, एयर इंडिया.
सरकार को क्यों बेचनी पड़ी कंपनी ?
साल 2000 से लेकर 2006 तक एयर इंडिया मुनाफा कमा रही थी लेकिन फिर साल 2007 में उस वक्त की यूपीए सरकार ने एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस को मर्ज कर दिया. कारण बताया गया फ्यूल की बढ़ती कीमत और प्राइवेट एयरलाइन कंपनियों से मिल रहा कॉम्पिटिशन. लेकिन मर्जर के बाद ये परेशानी और बढ़ गई. इंडियन एयरलाइंस में विलय के बाद से एयर इंडिया कभी नेट प्रॉफिट में नहीं रही.कंपनी की आय कम होती गई और कर्ज लगातार बढ़ता गया. कंपनी को घाटे से उबारने की कई बार कोशिश की गई लेकिन हर कोशिश नाकाम रही और साल 2017 में इसके विनिवेश यानि डिसइंवेस्टमेंट की रूपरेखा तैयार की गई.
31 मार्च 2019 तक एयर इंडिया पर 60 हजार करोड़ से भी ज्यादा का कर्ज था. साल 2021 में कंपनी को लगभग 10,000 करोड़ रुपए के घाटा होने का अनुमान था आशंका जताई.
कब-कब एयर इंडिया को बेचने की कोशिश हुई ?
सबसे पहले सरकार ने साल 2018 में कंपनी की 76% हिस्सेदारी बेचने के लिए बोली मंगाई थी. हालांकि, उस समय सरकार ने कंपनी का मैनेजमेंट कंट्रोल अपने पास रखने की बात कही थी. जब इसमें किसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई तो सरकार ने मैनेजमेंट कंट्रोल के साथ इसे 100% बेचने का फैसला किया. इसके बाद जनवरी 2020 में नए सिरे से इसे बेचने की कोशिश की गई. इस बार दांव पर 76 फीसदी की जगह 100 फीसदी हिस्सेदारी थी. पहले कंपनियों को 17 मार्च 2020 तक एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट सबमिट करने के लिए कहा गया था, लेकिन कोरोना की वजह से एविएशन इंडस्ट्री बुरी तरह प्रभावित हुई. जिस वजह से 15 सितंबर 2021 एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट सबमिट करने की आखिरी तारीख निर्धारित की गई. 15 सितंबर 2021 तक टाटा और स्पाइसजेट ने एयर इंडिया को खरीदने के लिए बोली लगाई.