सोमवार को पीएम मोदी ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम दावोस एजेंडा समिट में हिस्सा लिया था.. ये एक वर्चुअल समिट थी, जिसमें किसी परेशानी के कारण पीएम मोदी को अपना संबोधन बीच में ही रोकना पड़ा. इस समिट का एक वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत शेयर हो रहा है. इस वीडियो क्लिप को लेकर दावा किया जा रहा है कि टेलीप्रॉम्पटर में आई दिक्कत के कारण प्रधानमंत्री को अपना संबोधन बीच में ही रोकना पड़ा.. तो आज के know this वीडियो में हम आपको बताएंगे कि ये टेलीप्रॉम्प्टर क्या होता है? और इसका यूज़ कैसे किया जाता है? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिये हमारे साथ..
टेलीप्रॉम्प्टर क्या होता है?
टेलीप्रॉम्प्टर या ऑटोक्यू एक ऐसा डिस्प्ले डिवाइस होता है, जो किसी व्यक्ति को स्पीच या स्क्रिप्ट को पढ़ने में मदद करता है. टेलीप्रॉम्प्टर में एक मॉनिटर लगा होता है जो आमतौर पर कैमरे के ठीक नीचे होता है. इस मॉनिटर में टेक्स्ट या शब्द दिखते हैं.. ये नीचे से ऊपर की ओर चलते रहते हैं, जिसे देखकर प्रेजेंटर अपनी स्क्रिप्ट या स्पीच को पढ़ता है. हालांकि प्रधानमंत्री और दूसरे बड़े नेताओं द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला टेलीप्रॉम्पटर थोड़ा अलग होता है. वैसे आपने लाल किले पर प्रधानमंत्री के संबोधन के दौरान उनके चारों ओर ग्लास का पैनल लगा तो जरूर देखा होगा.. वो ग्लास का पैनल ही टेलीप्रॉम्टर है. जो ऐसा लगता है कि मानो पीएम की सेफ्टी के लिए बनाया गया बुलेट प्रूफ पैनल हो, लेकिन हकीकत में वो टेलीप्रॉम्टर होता है, जिसमें ग्लास पर आ रहे शब्दों को पढ़कर PM अपना भाषण देते हैं..
टेलीप्रॉम्प्टर कैसे काम करता है?
पीएम के टेलीप्रॉम्प्टर को Conference Teleprompter कहते हैं, इसमें LCD मॉनिटर नीचे होता है, जिसका फोकस ऊपर की तरफ रहता है. डिस्प्ले स्क्रीन स्पीच देने वाले व्यक्ति के सामने और अधिकतर प्रोफेशनल वीडियो कैमरा के नीचे होती है..खास बात ये है कि टेलीप्रॉम्प्टर को कोई और ऑपरेट कर रहा होता है, जो स्पीच देने वाले व्यक्ति के पढ़ने की स्पीड के हिसाब से टेलीप्रॉम्प्टर पर आ रहे शब्दों की स्पीड को कंट्रोल करता है और उन्हें जरूरत के हिसाब से रोकता या आगे बढ़ाता है..PM नरेंद्र मोदी जैसे बड़े नेताओं के मामले में कई बार टेलीप्रॉम्प्टर का कंट्रोल खुद स्पीकर के हाथों में होता है और वह जरूरत के हिसाब से टेलीप्रॉम्प्टर पर आ रहे शब्दों को रोक सकते हैं या आगे-पीछे कर सकते हैं.. बता दें कि ऑडियंस को ये टेस्क्ट नजर नहीं आते हैं. वो सिर्फ ग्लास और उसके पीछे खड़े स्पीकर को ही देख पाते हैं.
अमेरिका में हुआ था सबसे पहले उपयोग
टेलीप्रॉम्प्टर का सबसे पहले प्रयोग 1948 में अमेरिका में किया गया था और ये ह्यूबर्ट श्लाफली के दिमाग की देन थी. शुरुआत में एक हाफ सूटकेस साइज की डिवाइस के ऊपर प्रिटेंड पेपर के रोल के जरिए स्पीकर इसे पढ़ता था.. समय बीतने के साथ ही टेलीप्रॉम्प्टर में प्रिंटेड पेपर रोल की जगह साफ-सुथरे ग्लास की स्क्रीन ने ले ली. ड्वाइट डी आइजनहावर टेलीप्रॉम्प्टर के जरिए देश को संबोधित करने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने थे तब इसका 1952 में पहली बार इस्तेमाल किसी राष्ट्राध्यक्ष ने किया था..
कितनी होती है कीमत?
टेलीप्रॉम्पटर की कीमत काफी ज्यादा होती है. भारत में इन्हें ढाई लाख रुपये से लेकर 17 लाख तक की कीमत पर खरीदा जा सकता है. इनकी कीमत साइज और पेयर पर डिपेंड करती है.