हाल में जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में स्टिकी बम से हुई ब्लास्ट की घटना में एक की मौत और 17 घायल लोग हुए हैं. उधमपुर में इस वारदात को अंजाम देने वाले आतंकी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. अब इसका खतरा 30 जून से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra 2022) पर मंडरा रहा है. दरअसल खुफिया एजेंसियों को जानकारी मिली है कि अमरनाथ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं पर स्टिकी बम (Sticky Bomb) से हमला किया जा सकता। बता दें कि 30 जून से शुरू होने वाली इस यात्रा में इस बार करीब 3 लाख से ज्यादा यात्री पहुंचेंगे। भारी भीड़ के चलते सुरक्षा एजेंसियों ने अपने सिक्योरिटी प्लान में बदलाव कर दिया है। सिक्योरिटी एजेंसी ने गाड़ियों के मूवमेंट के प्लान में बड़ा बदलाव किया है। तो आज के know this वीडियो में हम आपको बताएंगे कि स्टिकी बम क्या होता है? इसका कब और कहां इस्तेमाल हुआ है? साथ ही बताएंगे कि भारत में इसका कब इस्तेमाल हुआ था बीएस आप वीडियो के काहिर तक बने रहिए हमारे साथ.
स्टिकी बम आसानी से कहीं भी चिपक जाते हैं इसलिए आसानी चिपकने के कारण इसे स्टिकी बम कहा जाता है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ये चुम्बकीय प्रभाव वाला बम है. इसलिए इसे मैग्नेटिक बम भी कहा जाता है. इसे मेटल की सतह पर आसानी से चिपकाया जा सकता है. जैसे- इसका ज्यादातर इस्तेमाल वाहनों पर लगाकर किया जाता है.
आकार में छोटा होने के कारण इसे आसानी से कहीं भी लगाया जा सकता है. इसमें टाइमर सेट होता है. जिसका कनेक्शन रिमोट से होता है. रिमोट की मदद से दूर रहते हुए धमाका किया जा सकता है. इसे हैंड ग्रेनेड या एंटी टैंक नंबर-74 और S.T. ग्रेनेड के नाम भी जाना जाता है. जो काफी खतरनाक है.
कैसे होता है धमाका?
इससे जुड़ी जो आतंकी घटनाएं सामने आई हैं, उनमें पता चला है कि इसका इस्तेमाल ज्यादातर वाहनों की टंकियों पर किया जाता है. पेट्रोल या डीजल टैंक पर इसे लगाया जाता है, ताकि धमाका और भी ज्यादा बड़ा हो. रिमोट का बटन प्रेस होते ही वाहन के परखच्चे उड़ जाते हैं. इसके लिए 5 से 10 मिनट के टाइमर का इस्तेमाल किया जाता है. इसका पता लगाने का कोई सटीक तरीका नहीं होता, केवल अलर्ट रहकर और जांच करके ही इसे ढूंढा जा सकता है.
इसे काफी खतरनाक माना जाता है क्योंकि जब इससे धमाका होता है तो चारों दिशा में बराबर से असर होता है. इसलिए धमाका खतरनाक माना जाता है. अफगानिस्तान ने तालिबान पर कब्जे से पहले कई बार स्टिकी बम का इस्तेमाल किया. इसके अलावा अफगानिस्तान में नाटो सेनाओं के खिलाफ भी इस मैग्नेटिक बम का काफी प्रयोग किया गया.
बता दें कि स्टिकी बम बहुत सस्ता होता है और इसे आसानी से कैरी किया जा सकता है। दरअसल, स्टिकी बम को 2 हजार रुपए में बनाया जा सकता है। इसी वजह से आतंकी इसका खूब इस्तेमाल करते रहे हैं।
इसे पहली बार 1940 में ब्रिटेन में बनाया गया. इसे स्टुअर्ट मैक्रे ने तैयार किया था. आमतौर पर इसका वजन 1 किलो होता है और लम्बाई 9 इंच तक हो सकती है. इस बम का इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध में किया गया था. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल अफगानिस्तान और इराक में हुआ.
भारत में ये कब कब यूज़ हुआ तो बता दें कि स्टिकी बम कश्मीर में पिछले फरवरी से चर्चा में आए थे. इन्हें सबसे पहले जम्मू के सांबा से बरामद किया गया था. स्टिकी बम का इस्तेमाल अफगानिस्तान और इराक में होता है. भारत में इससे पहले 2012 में इजराइली राजनयिक के वाहन पर हमले में ईरान के संदिग्ध आतंकियों ने इसका इस्तेमाल किया था.