1 जुलाई से आपको ऑफिस में ज्यादा समय तक काम करना पड़ सकता है। लेकिन 3 दिन का वीकली ऑफ मिल सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि सैलरी कागजों पर तो पहले जितनी ही रहे लेकिन कट-पिटकर आने वाला पैसा यानी आपके हाथ में पहले से कुछ कम तनख्वाह आए। मोदी सरकार एक जुलाई 2022 से नए लेबर कोड्स को लागू कर सकती है। श्रम और रोजगार मंत्रालय इन चारों लेबर कोड्स को मंजूरी दे चुका है। अब सरकार को बस नोटिफिकेशन जारी करना है।
आइए जानते हैं कि नए लेबर कोड्स के लागू होने के बाद नौकरी पेशा लोगों के जीवन में क्या बदलाव आने जा रहे हैं। नए महीने की शुरुआत यानि 1 जुलाई से आपको 9 घंटे की जगह एक दिन में 12 घंटे तक काम करना पड़ सकता है। नया लेबर कोड लागू होने के बाद कंपनियों के पास इस बात का अधिकार होगा कि वो काम के घंटों को बढ़ाकर 12 घंटे तक कर सकती हैं। लेकिन आपको हफ्ते में 2 नहीं 3 वीकली ऑफ मिलेंगे। मतलब ये है कि हफ्तेभर में जितना काम आप पहले करते थे। उतना ही अब भी यानि 48 घंटे ही करेंगे लेकिन। बस आपको दफ्तर 5 दिन की जगह सिर्फ 4 दिन जाना पड़ सकता है। नए लेबर कानून में कंपनी अपने कर्मचारियों को सिर्फ हफ्ते में 4 दिन काम करने की अनुमति दे सकती हैं। इसके अलावा एक और बदलाव होने जा रहा है। पहले नियम था कि लंबी छुट्टी मांगने के लिए साल में कम से कम 240 दिन काम करने की जरूरत होती थी लेकिन अब 180 दिन काम करने के बाद आप छुट्टी लेने के हकदार हो जाएंगे.
इसके अलावा, नया ‘वेज कोड’ लागू होने के बाद आपकी टेक होम सैलरी यानी आपके हाथ या आपके बैंक खाते में आने वाली सैलरी पहले के मुकाबले कुछ कम हो सकती है। सरकार ने नए वेज कोड में इस बात का प्रावधान किया है कि। बेसिक सैलरी कुल सैलरी यानि CTC की 50 फीसदी या उससे ज्यादा रहे। ये नियम इसलिए लाया गया है कि कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पैसों की किल्लत न झेलनी पड़े और उनकी जिदंगी हंसी खुशी से कट सके। जाहिर है अगर बेसिक सैलरी ज्यादा होगी तो कर्मचारी के प्रोविडेंट फंड यानि PF में ज्यादा पैसा जमा होगा… इससे कर्मचारियों को रिटायमेंट के समय मोटी रकम मिलेगी और अच्छी खासी ग्रेज्युटी का भी इंतजाम हो जाएगा.
हालांकि, ऐसा होने पर कंपनियों को पीएफ के मद में ज्यादा रकम चुकानी पड़ेगी। नियमों के मुताबिक कर्मचारियों की बेसिक सैलरी से 12 फीसदी रकम। पीएफ खाते में जमा करने लिए में काटी जाती है। जबकि इतना ही कांट्रीब्यूशन कंपनी को भी करना पड़ता है।
29 केन्द्रीय कानूनों को 4 कोड में बांटा गया है। कोड के नियमों में वेतन, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंध और व्यवसाय सुरक्षा और स्वास्थ्य आदि जैसे 4 लेबर कोड शामिल हैं। बता दें कि संसद में इन चार नए लेबर कोड्स को पहले ही पारित किया जा चुका है। सैलरी-भत्तों से जुड़े कानूनों (The Code on Wages) को 2019 में संसद द्वारा पारित किया जा चुका है। जबकि तीन अन्य कोड्स को भी 2020 में लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों से मंजूरी मिल चुकी है। अब तक 23 राज्यों ने इन ड्रॉफ्ट कानूनों को तैयार कर लिया है.
यानि कुल मिलाकर देखा जाए तो नए लेबर कोड्स में इस बात का ख्याल रखा गया है कि कर्मचारी अपने परिवार के साथ ज्यादा वक्त बिता सकें और रिटायरमेंट के बाद भी उनका जीवन खुशहाल रहे.