देश में बढ़ते कोरोना मामलों के चलते हाहाकार मचा हुआ है. तेजी से बढ़ते आंकड़ों से साफ पता चलता है कि तीसरी लहर का आगाज हो चुका है. जाहिर है कि कुछ दिनों बाद ये लहर अपनी पीक पर भी पहुंचेगी. ऐसे में सबके दिमाग में एक बड़ा सवाल है कि आखिर तीसरी लहर कब खत्म होगी...तीसरी लहर में रोजाना कितने केस आएंगे... क्या इसमें दूसरी लहर जितना नुकसान होगा... एक्सपर्ट्स अलग अलग मॉडल के आधार पर ये पता लगाने में जुट गए हैं कि इसका अंत कब होगा... आज इस वीडियो में हम आपको IIT कानपुर के प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल की तीसरी लहर पर की गई स्टडी के बारे में बताएंगे.
कब खत्म होगी तीसरी लहर?
मनिंद्र अग्रवाल बताते हैं कि भारत में कोरोना महामारी की तीसरी लहर मिड मार्च तक कमजोर पड़ जाएगी या खत्म हो जाएगी. दिल्ली और मुंबई में कोरोना केस जितनी तेजी से ऊपर गए हैं, उतनी ही तेजी से नीचे आने की संभावना है. पूरे देश की बात करें तो केसेज का ग्राफ अभी बढ़ना शुरू हुआ है. इसे चरम पर पहुंचने और नीचे आने में एक और महीने का समय लगना चाहिए. यानि मिड मार्च तक भारत में महामारी की तीसरी लहर खत्म होने की संभावना है. बता दें मनिंद्र अग्रवाल कोरोना महामारी पर स्टडी के लिए बनाए गए भारत सरकार के SUTRA कंप्यूटर मॉडल के प्रमुख हैं.
कैसी होगी तीसरी लहर?
IIT प्रोफेसर ने प्रिडिक्ट किया है कि तीसरी लहर मिड जनवरी तक अपने पीक पर पहुंच सकती है. इस दौरान हर दिन चार से आठ लाख मामले आने की आशंका है. उन्होंने बताया कि तीसरी लहर के पीक के दौरान दिल्ली और मुंबई सबसे ज्यादा प्रभावित रहेंगे, जहां रोजाना 50 से 60 हजार केस सामने आ सकते हैं. मनिंद्र अग्रवाल ने चेतावनी देते हुए कहा कि भीड़ भाड़ वाली जगहें और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन न करना कोरोना संक्रमण के लिए सुपर स्प्रेडर साबित हो सकती हैं.
कितना असरदार होगा लॉकडाउन ?
एक्सपर्ट के मुताबिक पहली लहर में सख्त लॉकडाउन के चलते संक्रमण की प्रसार दर दो गुना कम हुई थी. दूसरी लहर के दौरान भी अलग-अलग राज्यों ने अलग-अलग रणनीति अपनाई, जिससे प्रसार में कटौती हुई तो इससे मदद जरूर मिली. एक्सपर्ट कहते हैं कि सख्त लॉकडाउन हमेशा मददगार होता है लेकिन फिर इससे बहुत से लोगों को काफी नुकसान भी होता है. कोरोना के साथ साथ आजीविका के इस नुकसान से हुई मौतों के बारे में भी बात करनी चाहिए. वो बताते हैं कि शहरों के लिए अभी लॉकडाउन की जरूरत नहीं है क्योंकि इस बार अस्पताल में भर्ती होने के मामले इतने ज्यादा नहीं हैं.
तीसरी लहर का इम्यूनिटी पर कितना असर?
मनिंद्र अग्रवाल के मुताबिक दूसरी लहर के दौरान हमने मान लिया था कि हमारी इम्युनिटी पूरी तरह खत्म हो गई है जबकि ऐसा नहीं हुआ. हर जगह ये देखा गया है कि जब कोई वैक्सीनेटेड व्यक्ति संक्रमित होता है, तो संक्रमण की तीव्रता काफी कम हो जाती है. हालांकि हमारा अनुमान worst सिचुएशन पर ही आधारित है. यानि तब जब सब लोग अपनी इम्यूनिटी खो चुके हों. उन्होंने बताया कि ये संभव है कि थर्ड-वेव पीक एक दिन में आठ लाख मामलों की सीमा से आगे निकल जाए यानि लगभग 10 लाख. उन्होंने कहा कि समय के साथ हम ज्यादा सटीक भविष्यवाणी करने में सक्षम होंगे.
कोरोना और इसके नए वेरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर अब तक कई प्रिडिक्शन किए जा चुके हैं... ऐसे में सबसे जरूरी है बिना पैनिक किए सतर्क रहना और कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करना.