26 जून को 3 लोकसभा और 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के नतीजे आए। जिनमें से बीजेपी ने यूपी की दो लोकसभा सीटों रामपुर और आजमगढ़ पर जीत हासिल की। वहीं पंजाब की संगरूर लोकसभा सीट पर शिरोमणि अकाली दल के सिमरनजीत सिंह मान ने परचम लहराया। लेकिन इन सभी सीटों में सबसे दिलचस्प मुकाबला यूपी की रामपुर और आजमगढ़ सीटों पर देखने को मिला। आजमगढ़ से बीजेपी प्रत्याशी और भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार दिनेश लाल यादव (निरहुआ) ने अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को 8 हजार 679 वोटों से हराया। तो वहीं रामपुर सीट से समाजवादी पार्टी नेता आजम खान के करीबी आसिम रजा को बीजेपी के घनश्याम सिंह लोधी ने 42 हजार 192 वोटों से पटखनी दे दी।
यूपी की दोनों सीटें जिन्हें समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता था। वो अब सपा के हाथों से फिसल गई हैं। उन पर अब बीजेपी का कब्जा है, हार के बाद समाजवादी पार्टी नेताओं की तरफ से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आईं। लेकिन सबसे दिलचस्प सपा नेता धर्मेंद्र यादव का ये बयान है जो कल से ही सुर्खियों मे बना हुआ है।
दरअसल मतगणना के दौरान धर्मेंद्र यादव को शंका हुई कि काउंटिंग सेंटर पर कुछ गड़बड़ चल रहा है तो उन्होंने स्ट्रॉन्ग रूम के अंदर जाने की कोशिश की। सुरक्षा में मौजूद पुलिसकर्मी ने जब उन्हें रोका तो वो बिफर पड़े और रौबदार आवाज में बोले, हाउ कैन य़ू रोक?। स्ट्रॉन्ग रूम में कौन जाएगा। बस फिर क्या था उनके इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर मीम्स की बौछार हो गई। किसी ने धर्मेंद्र यादव को इंग्लिश टीचर बनने की सलाह दे डाली तो किसी ने कहा, ऐसी अंग्रेजी सुनकर यूपी पुलिस अपनी हंसी कैसे रोक लेती है। हालांकि देर शाम तक धर्मेंद्र यादव ने ट्वीट कर अपनी हार स्वीकार ली। लेकिन सोशल मीडिया पर उनका ये बयान खूब चर्चा में है।
वहीं समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी आसिम रजा की हार पर जब आजम खान से सवाल पूछे गए तो वो बिफर पड़े।
बता दें कि रामपुर सीट से अभी तक आजम खान सांसद थे, लेकिन यूपी विधानसभा में सदस्य बनने के बाद उन्होंने रामपुर सीट खाली कर दी। वहीं आजमगढ़ सीट पर 2019 में अखिलेश यादव ने जीत दर्ज की थी, लेकिन मैनपुरी की करहल सीट जीतने के बाद अखिलेश यादव ने यूपी विधानसभा की सदस्यता ले ली और आजमगढ़ लोकसभा सीट खाली हो गई। जिस पर उनके भाई धर्मेंद्र यादव ने चुनाव लड़ा। कुल मिलाकर समाजवादी पार्टी के हाथ से उसकी दोनों अजेय मानी जाने वाली सीट फिसल चुकी हैं। जिसकी वजह से लोकसभा में समाजवादी पार्टी से केवल 3 सांसद बचे हैं।
उपचुनाव के नतीजों पर मंथन करने वाले चुनाव विश्लेषकों का कहना है, इन दोनों सीटों को हारने से समाजवादी पार्टी की साख पर बट्टा तो लगा ही है।साथ ही अखिलेश यादव के सियासी करियर भी संकट में नजर आ रहा है। वहीं कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इस चुनाव में अखिलेश के साथ भितरघात हुई है, जिसमें उनके चाचा शिवपाल भी शामिल थे। इसके पीछे बड़ी वजह है 2022 विधानसभा चुनाव। दरअसल अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल को चुनाव लड़ने के लिए केवल एक सीट दी थी, जिससे शिवपाल खासा नाराज थे, हो सकता है अखिलेश को सबक सिखाने के लिए उन्होंने भितरघात की हो। खैर वजह कोई भी हो इन दोनों सीटों को खो देने से समाजवादी पार्टी का भविष्य अधर में जरूर लटक गया है।