पॉलिटिक्स का हब माने जाने वाले यूपी में विधानसभा चुनावों को लेकर गरमा गरमी का माहौल है. चुनाव के गुणा-गणित के बीच आए दिन नए नए ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं. इसी बीच खबर आई कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पहली बार MLA की दौड़ में शामिल हो रहे है. अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरेंगे. आज नो दिस के इस वीडियो में हम जानेंगे कि आखिर अखिलेश ने करहल सीट को ही क्यों चुना... क्या इसके पीछे कोई जातिगत समीकरण है... इस सीट का राजनीतिक इतिहास क्या रहा है... इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
करहल विधानसभा सीट मुलायम सिंह यादव के गांव सैफई के काफी करीब है. एक तरह से इसे समाजवादी पार्टी का गढ़ भी कहा जाता है. पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने इसी विधानसभा से अपना पहला चुनाव लड़ा था और चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. उन्होंने करहल के जैन इंटर कॉलेज से ही पढ़ाई की थी और वे यहां पर शिक्षक भी रहे. इस सीट पर समाजवादी पार्टी की मजबूत पकड़ मानी जाती है. ऐसे में अखिलेश का यहां से चुनाव लड़ना काफी सेफ माना जा रहा है. अखिलेश यादव इससे पहले विधान परिषद सदस्य रह चुके हैं और फिलहाल आज़मगढ़ से लोकसभा सांसद हैं.
इस सीट पर हमेशा से ही यादव मतदाताओं का दबदबा रहा है. यहां पिछड़े वर्ग में 40 प्रतिशत तो यादव वोट हैं जबकि ब्राह्मणों, ठाकुर, दलित, शाक्य की तादाद भी अच्छी है. कुल 3.55 लाख मतदाताओं में से यादव वोटरों की संख्या 1.25 लाख है. वहीं शाक्य मतदाताओं 35 हजार, क्षत्रिय 30 हजार, ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 16 हजार और दलित मतदाताओं की संख्या कुल 22 हजार है.
क्या है करहल सीट का इतिहास?
करहल विधानसभा सीट पर पहला चुनाव साल 1957 में हुआ था. कुछ सालों तक इस सीट से स्वतंत्र पार्टी, बीकेडी, लोकदल, जनता पार्टी और जनता दल के उम्मीदवार जीतते रहे. साल 1980 में एक बार यहां कांग्रेस ने भी जीत हासिल की. फिर साल 1993 के बाद से यहां समाजवादी पार्टी का कब्जा कायम हुआ. 1996 में सपा के टिकट पर बाबूराम यादव विधायक निर्वाचित हुए. फिर 2000 के उपचुनाव में सपा के अनिल यादव जीते.
2002 में एक बार भाजपा के सोबरन सिंह यादव ने इस सीट पर कब्जा किया था. यही सोबरन सिंह बाद में सपा में शामिल हो गए और वर्तमान में करहल से ही सपा के विधायक हैं. फिर 2007, 2012 और 2017 में यहां से समाजवादी पार्टी के सोवरन सिंह यादव विधायक चुने गए. सोवरन यादव ने अपने बीजेपी प्रतिद्वंदी के रमा शाक्य को 40 हजार से ज्यादा वोट के बड़े अंतर से हराया था. यहां सबसे ज्यादा बाबू राम यादव पांच बार अलग-अलग दलों से जीते थे. सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव यहां से सांसद हैं.
अब 2022 में हो रहे विधानसभा चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा की है. इस पर पार्टी का कहना है कि भावनात्मक कारणों के चलते अखिलेश ने इस सीट को चुना है क्योंकि ये उनके पिता मुलायम सिंह यादव का पुराना गढ़ है. बता दें उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 10 फरवरी से 7 मार्च तक सात चरणों में होंगे. जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं... पार्टियों के बीच जंग तेज हो रही है और ये लड़ाई भी दिलचस्प होती दिख रही है.