सरकार ने 1 जनवरी 2022 से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया यानी कि एसबीआई को इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने की मंजूरी दे दी है. ये इलेक्टोरल बॉन्ड 1 जनवरी से 10 जनवरी तक जारी किए जाएंगे. सरकार ने अपने बयान में कहा है कि एसबीआई को उसकी 29 अधिकृत ब्रांचों के जरिए इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने के लिए अधिकृत किया गया है. इलेक्टोरल बॉन्ड यानी कि ऐसा बॉन्ड जिसके ऊपर एक करेंसी नोट की तरह उसकी वैल्यू या मूल्य लिखा होता है और इसका इस्तेमाल व्यक्तियों, संस्थाओं और संगठनों द्वारा राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए किया जा सकता है. तो आज के KNOW THIS VIDEO में हम आपको इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी देंगे साथ ही बताएंगे कि ये जरूरी क्यों है? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ..
सबसे पहले जानते हैं कि
इलेक्टोरल बॉन्ड क्या होता है?
दरअसल इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत सरकार ने साल 2018 में की थी. सरकार का दावा था कि इससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी और साफ-सुथरा धन आएगा. बता दें कि इलेक्टोरल बॉन्ड को व्यक्ति, कॉरपोरेट और संस्थाएं खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में देती हैं और राजनीतिक दल इस बॉन्ड को बैंक में भुनाकर रकम हासिल करते हैं. यहां ध्यान देने की बात है कि भारत सरकार ने 2 जनवरी 2018 की तारीख वाले गैजेट नोटिफिकेशन के जरिए इलेक्टोरल बॉन्ड को नोटिफाई किया है. जिसमें कहा है कि स्कीम के प्रावधानों के मुताबिक, इलेक्टोरल बॉन्ड्स को वो व्यक्ति खरीद सकता है, जो भारत का नागरिक है या भारत में कंपनी की स्थापना की गई है. एक व्यक्ति इलेक्टोरल बॉन्ड को अकेले या संयुक्त तौर पर दूसरे लोगों के साथ खरीद सकता है.
कैसे काम करते हैं ये बॉन्ड?
एक व्यक्ति, लोगों का समूह या एक कॉर्पोरेट बॉन्ड जारी करने वाले महीने के 10 दिनों के भीतर एसबीआई की निर्धारित शाखाओं से चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है. जारी होने की तिथि से 15 दिनों की वैधता वाले बॉन्ड 1000 रुपए , 10000 रुपए, एक लाख रुपए, 10 लाख रुपए और 1 करोड़ रुपए के multiples में जारी किए जाते हैं. ये बॉन्ड नकद में नहीं खरीदे जा सकते और खरीदार को बैंक में केवाईसी फॉर्म जमा करना होता है. जिनके खाते का केवाईसी वेरिफाइड होगा केवल वही चुनावी बॉन्ड खरीद सकते हैं. वहीं इन बॉन्ड को चंदा देने वाले लोग अपनी पसंद की पार्टी के बॉन्ड खरीदने के 15 दिन के अंदर ही देना होगा.इस बॉन्ड को राजनीतिक पार्टी बैंक में वेरिफाइड अकाउंट के जरिए कैश कराएगी.चंदा देने वाले का नाम और डिटेल्स केवल बैंक के पास रहेगी, बॉन्ड पर उसका नाम नहीं होगा..वहीं बैंक इन बॉन्ड पर कोई ब्याज भी नहीं देता है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 में भारतीय जनता पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए 2,555 करोड़ रुपये मिले थे.. वहीं साल भर में कुल बेचे गए 3,435 के बॉन्ड में से कांग्रेस को नौ फीसदी यानी 318 करोड़ रुपये मिले थे..
क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड की खूबी
इसकी खूबी की बात की जाए तो कोई भी डोनर अपनी पहचान छुपाते हुए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से एक करोड़ रुपए तक के मूल्य के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीद कर अपनी पसंद के राजनीतिक दल को चंदे के रूप में दे सकता है. ये व्यवस्था दानकर्ताओं की पहचान नहीं खोलती और इसे टैक्स से भी छूट मिलती है. आम चुनाव में कम से कम 1 फीसदी वोट हासिल करने वाले राजनीतिक दल को ही इस बॉन्ड से चंदा हासिल हो सकता है. आखिर में बस इतना ही कि उत्तर प्रदेश समेत देश में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इन चुनावों से पहले केंद्र सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड की मंजूरी दे दी है. ऐसे में आप अपनी पसंदीदा राजनीतिक पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा दे सकते हैं..