केरल में सामान्य समय से पहले ही मानसून ने एंट्री कर ली है, अब आने वाले दिनों में केरल के बाकी इलाकों के साथ-साथ तटीय कर्नाटक और महाराष्ट्र में मॉनसून का सिस्टम आगे बढ़ेगा। बता दें कि मौसम विभाग ने पहले अनुमान लगाया था कि बंगाल की खाड़ी में आए चक्रवाती तूफान ‘असानी’ के प्रभाव से इस बार मॉनसून समय से पहले ही केरल पहुंचेगा। वहीं मॉनसून आने के पहले ये चर्चाऐं भी होने लगती कि भारत में मानसून कहां तक पहुंचा, आगे कैसे और कहां-कहां कितने दिनों में पहुंचेगा? तो आज के know this वीडियो में हम आपको बताएंगे कि प्री मानसून बारिश क्या है और मानसून की बारिश से ये कितनी अलग है? बस आप वीडियो के काहिर तक बने रहिए हमारे साथ.
प्री-मानसून बारिश को मैंगो शावर भी कहते हैं. वहीं प्री-मानसून को पश्चिम बंगाल में कालबैसाखी, कर्नाटक में मैंगो शावर और केरल में ब्लॉसम शावर भी कहा जाता है. आम तौर पर इसे अप्रैल की बारिश कहा जाता है. ये आमों को जल्दी पकने में मदद करती है और इन्हें अक्सर 'आम की बारिश' कहा जाता है.वर्नल इक्विनॉक्स के बाद जैसे ही सूर्य कर्क रेखा की ओर उत्तर की ओर बढ़ता है, पूरे भारत में तापमान बढ़ने लगता है और इसी समय प्री-मानसून सीजन की शुरुआत होती है.भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार प्री-मानसून मार्च से मई तक रहता है. इस दौरान होने वाली बारिश को प्री-मानसून बारिश कहते हैं. प्री-मानसून का मौसम गर्मी और उमस का ही दूसरा नाम है. इस टाइम दिन और रात में उमस भरी गर्मी से लोग बेहाल रहते हैं.
मानसून बारिश क्या है अब आपको बताते हैं..
मानसून किसी एरिया की तेज हवाओं की दिशा में एक मौसमी परिवर्तन है. मानसून अक्सर हिंद महासागर से जुड़ा होता है. मानसून हमेशा ठंडे से गर्म क्षेत्रों की ओर आगे बढ़ता है. भारत में मानसून का मौसम कई बड़ी और विस्तृत प्रक्रियाओं से बना है. मई-जून के महीने में भारतीय प्रायद्वीप गर्मी के मौसम में गर्म होने लगता है, जबकि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में और उसके आसपास का तापमान तुलनात्मक रूप से कम होता है. इस तापमान अंतर के कारण समुद्र से पानी के बादल बड़ी मात्रा में उत्तर भारत की ओर बढ़ते हैं और वहां जाते समय पूरे भारत में वर्षा होती है, जिसे मानसूनी वर्षा कहते हैं.
बता दें कि मानसून और प्री मानसून बारिश दोनों ही तरह की बारिश एक साथ देखने को नहीं मिलती है. मानसून की बारिश दिन में किसी भी समय आ सकती है. लेकिन प्रीमानसून बारिश दोपहर के बाद या शाम को ही आती है. इसके अलावा दोनों बारिशों में हवा का भी अंतर होता है. प्री मानसून बारिश झोंकेदार हवा के कारण धूल वाली तूफानी बारिश होती है.