सबसे पहले जानते हैं कि HUID क्या है और क्यों जरूरी है?
HUID का मतलब है हॉलमार्क यूनिक आइडेंटिफिकेशन. ये एक 6 अंक का अल्फान्यूमेरिक कोड है, जो हर ज्वेलरी पर लगता है. इससे उस गहने की एक अलग पहचान बनती है. साथ ही ये मार्क कस्टमर को विश्वसनीयता प्रदान करने का एक माध्यम है. सोने की शुद्धता की गारंटी देने वाली हॉलमार्किंग में कैरेट के साथ ये कोड डाला जाता है. HUID से कहीं भी तुरंत पता चलता है कि उसका निर्माता कौन है, उसका वजन क्या है, जेवर क्या है? किसको बेची गई और किस हॉलमार्किंग सेंटर में उसे यह कोड दिया गया.
हॉलमार्किंग की प्रक्रिया पूरे देश में मौजूद हॉलमार्किंग centre पर की जाती है. इसकी निगरानी BIS यानि Bureau of Indian Standards द्वारा होती है. ये मार्क certify करता है कि गहना बीआईएस के स्टैंडर्ड पर खरा उतरता है.
क्या है सरकार के नए नियम ?
सोने की हॉलमार्किंग पहले voluntary थी यानि जो करवाना चाहे वो करवा सकता है लेकिन अब सरकार ने इसे अनिवार्य कर दिया है. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि कोई भी सेलर कस्टमर को धोखा न दे सके. हॉलमार्किंग के लिए सभी ज्वैलरी व्यापारियों को केवल एक बार रजिस्ट्रेशन लेना होगा. हॉलमार्क के लिए ज्वैलरी भेजने का सिस्टम पूरी तरह से ऑनलाइन हो गया है. नए नियमों के मुताबिक, अगर 14, 18, या 22 कैरेट सोने से बने आभूषण को बीआईएस हॉलमार्क के बिना बेचा जाता है, तो ज्वैलर को उसकी कीमत का पांच गुना जुर्माना या एक साल तक की जेल हो सकती है.