वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए किसानों के लिए बड़ी घोषणा की है. उन्होंने अपने बजट भाषण में किसानों को एक बड़ी राहत देते हुए कहा कि एमएसपी के तहत किसानों को 2.7 लाख करोड़ रुपए दिए जाएंगे. बता दें किसान लंबे से एमएसपी तय करने की मांग कर रहे हैं. आज इस वीडियो में हम आपको MSP के बारे में सब कुछ बताएंगे. MSP कैसे तय की जाती है, किन फसलों पर दी जाती है? किसानों की इसको लेकर क्या मांग थी और सरकार का इस पर क्या रुख है. इन सभी सवालों के जवाब के लिए वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
सबसे पहले जानते हैं कि MSP क्या है?
MSP यानि मिनिमम सपोर्ट प्राइस या फिर न्यूनतम समर्थन मूल्य. ये वो न्यूनतम मूल्य है जिस पर सरकार किसानों की फसल खरीदती है. सरकार किसानों को कुछ फसलों पर दाम की गारंटी देती है कि किसानों को फसल का कम से कम इतना मूल्य तो मिलेगा ही भले ही कैसी भी स्थिति हो. बाजार में फसल के दाम कितने ही कम क्यों न हो, सरकार उसे किसानों से तय एमएसपी पर खरीदेगी. इससे किसानों को नुकसान होने की संभावना कम रहती है. साथ ही किसानों को अपनी फसल की एक तय कीमत के बारे में पता चल जाता है. फिर ये किसान की मर्जी है कि वो फसल को सरकार को एमएसपी पर बेचे या फिर व्यापारी को आपसी सहमति से तय कीमत पर. MSP का ऐलान फसल की बुवाई से ठीक पहले होता है ताकि किसानों को भरोसा रहे. पूरे देश में किसी भी फसल पर एक ही MSP होती है.
कौन तय करता है MSP?
CACP यानी Commission for Agricultural Costs & Prices MSP तय करती है. CACP खेती की लागत के आधार पर फसलों की कम से कम कीमत तय करके अपने सुझाव सरकार को भेजता है. फिर सरकार इन सुझाव पर स्टडी करने के बाद MSP की घोषणा करती है. फिलहाल देश में 23 फसलों पर MSP की व्यवस्था लागू है. इनमें अनाज की 7, दलहन की 5, तिलहन की 7 और 4 कमर्शियल फसल शामिल हैं.
MSP पर किसानों की क्या मांग रही है?
दरअसल एमएसपी को कोई वैधानिक समर्थन हासिल नहीं है. ऐसे में किसान इसे अधिकार के रूप में नहीं मांग सकते हैं. किसानों की मांग है कि सरकार एमएसपी की गारंटी दे और इससे कम कीमत पर खरीद को अपराध घोषित करे. किसान संगठन चाहते हैं कि सरकार MSP को अनिवार्य दर्जा देने वाला कानून बनाए.
सरकारें क्यों बचती रही है?
agricultural experts के मुताबिक, एमएसपी को कानूनी अधिकार बना दिए जाने से बड़ा नुकसान हो सकता है. नुकसान ये कि फिर किसान केवल उन्हीं फसलों को उगाने की बात सोचेगा जिसमें उसे आसानी से फायदा मिलेगा. इससे देश में उन फसलों की कमी हो सकती है जिसकी ज्यादा जरूरत है. साथ ही उन अनाजों का भंडार जमा हो जाएगा जो देश में पहले से ज्यादा हैं, जैसे धान और गेहूं. कानून बनने के बाद अगर सभी 23 फसलों की खरीद एमएसपी पर करनी पड़े तो अनुमान है कि सरकार को इसके लिए करीब 17 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च करना पड़ सकता है. इतना बोझ सरकारी खजाना नहीं उठा पाएगी. एक्सपर्ट मानते हैं कि सरकार के लिए एमएसपी पर सभी फसलों की खरीद संभव ही नहीं है. इसलिए सरकार इसकी गारंटी नहीं दे सकती है. अब देखना होगा कि बजट में एमएसपी के लिए जो प्रावधान किए गए हैं उनसे किसानों को कितना फायदा पहुंचता है.