6 फरवरी 2022 को सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर ने आखिरी सांस ली. उनके निधन की खबर से पूरा देश शोक में डूब गया.. उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देश ने अपनी आवाज खो दी. उनके निधन के बाद कला, साहित्य, सिनेमा, खेल हर क्षेत्र के लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. तीन नेशनल अवॉर्ड, पद्म भूषण और भारत रत्न जैसे सम्मान पा चुकीं लता जी के निधन पर सरकार ने दो दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की.. तो आज know this के वीडियो में हम आपको बताएंगे कि किसी के निधन पर कैसे राष्ट्रीय शोक की घोषणा की जाती है? क्या ऐसे में सरकारी संस्थानों में छुट्टी रहती है? साथ ही बताएंगे इसके नियम क्या हैं ? बस आप वीडियो एक आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
राष्ट्रीय शोक घोषित करने का नियम पहले कुछ ही लोगों के लिए था. पहले देश में केवल राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री रह चुके लोगों के निधन पर राजकीय या राष्ट्रीय शोक की घोषणा की जाती थी. हालांकि आजादी के बाद स्वतंत्र भारत में पहला राष्ट्रीय शोक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के बाद घोषित किया गया था. वो राष्ट्रपिता माने जाते हैं. उनके निधन के बाद जो नियम बने थे, उसके अनुसार पद पर रहते हुए प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति का निधन हो जाने पर या फिर पूर्व में प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति रह चुके व्यक्ति का निधन होने पर देश में राष्ट्रीय शोक की घोषणा की जाती थी. समय के साथ राष्ट्रीय शोक के नियम बदल गए हैं. बदले गए नियमों के मुताबिक, गणमान्य व्यक्तियों के मामले में भी केंद्र को ये अधिकार दिया गया है कि विशेष निर्देश जारी कर सरकार राष्ट्रीय शोक का ऐलान कर सकती है. इतना ही नहीं, देश में किसी बड़ी आपदा के वक्त भी ‘राष्ट्रीय शोक’ घोषित किया जा सकता है.
राष्ट्री य शोक के दौरान राष्ट्रध्वज आधा झुका रहता है. राष्ट्रीय ध्वज का आधा झुकना राजकीय शोक को दर्शाता है. किसी खास शख्सियत के निधन पर उनके प्रति संवेदना व्ययक्ता करने के लिए ऐसा किया जाता है. कुछ तय पदों के अलावा किसी शख्सियत के निधन पर राष्ट्री य शोक मनाया जाएगा या नहीं, ये फैसला लेने का अधिकार राष्ट्रनपति के पास होता है. राष्ट्रध्वज आधा झुकाने को लेकर भी खास नियम होते हैं. ये केवल भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी होता है.
जब भी ऐसा किया जाता है तो पहले झंडे को पूरी ऊंचाई में ऊपर उठाया जाता है और फिर धीरे-धीरे नीचे लाते हुए आधा झुकाया जाता है. बता दें कि इस दौरान सिर्फ तिरंगे को ही आधा झुकाया जाता है. इसके अलावा अगर कहीं पर राष्ट्रीइय ध्व्ज के साथ किसी संस्थाा का फ्लैग है तो वो सामान्यग ऊंचाई पर ही रहता है. इसे नहीं झुकाया जाता है.
फ्लैग कोड ऑफ इंडिया के मुताबिक, राष्ट्रीय शोक के दौरान सचिवालय, विधानसभा समेत सभी महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालयों में लगे राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहते हैं. वहीं, देश के बाहर भारतीय दूतावासों और उच्चा योगों में भी राष्ट्रीखय ध्वजज को भी आधा झुकाया जाता है. राजकीय शोक के दौरान समारोहों और आधिकारिक मनोरंजन की भी मनाही रहती है.
बता दें कि भारत के अलावा और भी कई देशों में राष्ट्री य ध्वऔज को झुकाने का रिवाज है. इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, ब्राजील, कनाडा, चीन, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, हांगकांग, ईरान, आयरलैंड, इजरायल, इंडोनेशिया, जापान, मलेशिया, माल्टा, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, उत्तरी साइप्रस, पाकिस्तान,फिलीपींस, रूस, सऊदी अरब, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, स्वीडन, थाईलैंड, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात, वियतनाम और, जिम्बाब्वे शामिल हैं.