कर्नाटक में हिजाब विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. लड़कियों ने हिजाब पहना तो लड़के उसके जवाब में भगवा गमछा पहनकर आ गए. मामले ने और तूल पकड़ लिया. विरोध प्रदर्शन अब झड़प तक आ पहुंची है. मंगलवार को कर्नाटक के कई हिस्सों में हिजाब विवाद को लेकर पथराव हुआ. कॉलेज में लड़कियों को हिजाब पहनने की अनुमति दी जाए या नहीं इसपर कोर्ट में बहस जारी है. तो इस स्थिति में ये सवाल उठता है कि क्या संविधान में छात्राओं को हिजाब पहनने की स्वतंत्रता दी गई है.. KNOW THIS VIDEO में हम आपको बताएंगे कि हिजाब या भगवा गमछा पहनने को लेकर संविधान क्या कहता है. बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ..
हिजाब बनाम भगवा गमछा विवाद में जिस तरह हर रोज अलग-अलग तस्वीरें सामने आ रहीं हैं ऐसे में इस पूरे विषय पर संविधान क्या कहता है ये जानना बहुत जरूरी हो जाता है..भारत एक लोकतांत्रिक देश है. भारत का अपना संविधान है. यहां हर फैसला संविधान के हिसाब से ही लिया जाता है. संविधान का अनुच्छेद 14 सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है. इसका मतलब ये है कि देश के सभी नागरिक एक समान हैं. वहीं अनुच्छेद 25 से अनुच्छेद 28 तक धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का जिक्र है. धार्मिक स्वतंत्रता हर नागरिक का मौलिक अधिकार है. चूंकि अनुच्छेद 25 सभी नागरिकों को अपने धर्म का पालन करने और उसका प्रचार करने का अधिकार देता है. लेकिन मामला इतना सीधा भी नहीं है. अनुच्छेद 25(1) कहता है कि सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए राज्य मतलब कि सरकार इस पर रोक लगा सकती है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो किसी को भी उसके धर्म से जुड़ी चीजों को मानने का पूरा हक है.
लेकिन, अगर इसकी वजह से किसी तरह का माहौल बिगड़ने की संभावना रहती है, तो राज्य को अधिकार है कि वह इस पर रोक लगा सकता है. यानी धार्मिक स्वतंत्रता कंडीशन में बंधी है.
कर्नाटक में हिजाब विवाद से पहले सरकार ने इस तरह की बंदिश लगाई थी. कर्नाटक सरकार ने 5 फरवरी को एक आदेश जारी कर कर्नाटक शिक्षा कानून 1983 के सेक्शन 133 (2) को लागू किया था. इसके अनुसार, सरकारी स्कूल-कॉलेज के सभी स्टूडेंट एक समान ड्रेस कोड का पालन करेंगे. वहीं, निजी स्कूल का मैनेजमेंट अपनी पसंद के आधार पर ड्रेस को लेकर फैसला ले सकता है. इसी के बाद स्कूल कॉलेजों में ड्रेस को लेकर नियम कायदे सख्त हुए और उडुपी कॉलेज प्रशासन ने लड़कियों को हिजाब पहनने से रोका.
हिजाब पहनने का मुद्दा कोई नया नहीं है इससे पहले भी ये कई बार सुर्खियों में आ चुका है..कई मौके ऐसे आये हैं जब लोगों ने हिजाब पहनने की स्वतंत्रता को लेकर अदालतों का रुख किया... लेकिन ये तमाम मामले हाईकोर्ट तक ही सीमित रहे हैं, तो इसे हिजाब पहनने को लेकर किया गया 'अंतिम फैसला' नहीं माना जा सकता है. क्योंकि, इसका अधिकार सुप्रीम कोर्ट के पास सुरक्षित है. ताजा घटनाक्रम से जुड़े मामले की सुनवाई कर्नाटक हाईकोर्ट में चल रही है..
वहीं दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जहां हिजाब पहनने या पूरा चेहरा ढंकने पर रोक है साथ ही ऐसा करने पर जुर्माने तक का प्रावधान है.
जैसे कि फ़्रांस में स्कूलों में धर्म के आधार पर कपड़े पहनने से रोक है. रूस में 2012 में स्कूलों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया था. डेनमार्क में तो 2018 में सार्वजनिक स्थानों में चेहरा ढंकने पर रोक लगा दी थी. चेहरा ढंकने पर यहां जुर्माना है. वहीं सीरिया में 90 फीसदी आबादी मुस्लिम है लेकिन यहां की सरकार ने 2010 में विश्वविद्यालयों में चेहरा ढंकने पर रोक लगा दी थी...
आखिर में बस इतना ही कि धर्म को मानना अलग बात है लेकिन आम जनजीवन के नियम कायदों को मानना भी जरूरी है. हर चीज में मजहबी घालमेल व्यवस्था में व्यवधान पैदा करती हैं.