फ्लेक्स शब्द इंगलिश के फ्लेक्सिबल शब्द से ही बना है और इसी से स्पष्ट है कि फ्लेक्स इंजन यानि ऐसा इंजन जो दूसरे ईंधन या फ्यूल से भी चल सकता हो. ये एक ख़ास तरह से डिजाइन किया हुआ इंजन होता है. और इसकी ख़ास बात ये होती है कि इसमें दो तरह के फ्यूल डाले जा सकते हैं. भारत के कॉन्टेक्स्ट में बात करें तो फ्लेक्स इंजन, पेट्रोल-डीजल के साथ बायो ईंधन इथेनॉल और मेथेनॉल को मिलाकर चलाया जाएगा.
आसान भाषा में कहें तो फ्लेक्स इंजन टू इन वन सेटिंग है, इसमें आप अपनी गाड़ी को चाहें तो पेट्रोल-डीजल पर चला सकते, चाहें तो इथेनॉल पर. फिलहाल गाड़ियों में हम जो पेट्रोल यूज़ करते हैं, उसमें 8.5% तक एथेनॉल मिला होता है. लेकिन फ्लेक्स इंजन में आपके पास ये आप्शन होगा कि आप पेट्रोल और एथेनॉल दोनों को अलग-अलग रेशियो में यूज़ कर सकें. जब आप इसमें दो तरह के फ्यूल डालेंगे तो इंजन अपने हिसाब से इसे काम में ले लेता है..और फ्यूल में मौजूद अलग-अलग ईंधन का कंसंट्रेशन पता कर इग्निशन को एडजस्ट कर लेगा. इथेनॉल और मेथेनॉल पूरी तरह से बायो-फ्यूल है. इसे गन्ना, मक्का जैसे पदार्थों से तैयार किया जाता है और इससे प्रदूषण कम फैलता है.