किसी भी चीज़ के पहले ग्रीन लग जाने से हम उसे एन्वॉयरनमेंट फ्रेंडली समझते है, यानि वो चीज़े जिनका पर्यावरण पर बुरा असर ना हो. लेकिन अगर आप ऐसा सोचते है कि ग्रीन क्रैकर्स से कोई प्रदूषण नहीं होता और ये पर्यावरण के लिए सही है, तो ऐसा नहीं है. ग्रीन क्रैकर्स ज़रूर सामान्य पटाखों से कम हानिकारक है लेकिन उनका भी हमारे पर्यावरण पर बुरा असर होता है. ग्रीन पटाखों में भी एल्युमीनियम, बेरियम, पोटेशियम नाइट्रेट और कार्बन जैसे प्रदूषणकारी रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इनकी मात्रा कम होती है.. सामान्य पटाखों की तुलना में ग्रीन पटाखे 40 से 50 फ़ीसदी तक कम हानिकारक गैस पैदा करते हैं. साथ ही इनमें वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले नुकसानदायक कैमिकल भी कम मात्रा में इस्तेमाल होते हैं.. इसलिए इनकी मदद से वायु प्रदूषण को बढ़ने से रोका जा सकता है.
ग्रीन क्रैकर्स दिखने, जलाने और आवाज़ में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं लेकिन माना जाता है कि इनसे प्रदूषण कम होता है. इनकी खोज भारतीय संस्था राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी ) ने की थी. इन्हें ख़ास तरह से तैयार किया जाता है और इनमें बेरियम नाइट्रेट की जगह पोटेशियम नाइट्रेट के इस्तेमाल पर ज़ोर है.