जरा सोचिए अगर संविधान के आर्टिकल 19(1) में ‘राइट टु बी फनी’ यानी कि मजाकिया होने का अधिकार जोड़ दिया जाए तो क्या हो? असल में हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि मद्रास हाईकोर्ट ने फेसबुक पोस्ट को लेकर युवक पर दर्ज हुई FIR को रद्द करते हुए कहा कि संविधान के आर्टिकल 19(1) में ‘राइट टु बी फनी’ को भी जोड़ा जा सकता है! तो आज के know this video में हम आपको बताएंगे कि आखिर कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा? ये पूरा मामला क्या है साथ ही बताएंगे कि राइट टु बी फनी क्या होता है? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ..
सबसे पहले जानते है कि
पूरा मामला क्या है?
दरअसल जैसे हम सब कहीं घूमने जाते हैं तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तस्वीरें शेयर करते हैं, साथ में कैप्शन भी लिखते हैं.. तो ऐसा ही कुछ तमिलनाडु में कम्युनिस्ट पार्टी के नेता मथिवनन ने भी किया वो अपने परिवार के साथ हिल स्टेशन घूमने गये थे.. इस दौरान उन्होंने ट्रिप की फोटोज फेसबुक पर पोस्ट की. फोटो के कैप्शन में लिखा ‘Trip to Sirumalai for shooting practice’ यानी 'शूटिंग (फोटोग्राफी) प्रैक्टिस के लिए सिरुमलाई की यात्रा'..लेकिन पुलिस ने शूटिंग को गोली चलने से जोड़ा और उन पर केस दर्ज कर लिया. इसके बाद पुलिस मथिवनन को गिरफ्तार किया और रिमांड के लिए मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया.. हालांकि मजिस्ट्रेट ने रिमांड देने से मना कर दिया...इसके बाद अपने ऊपर दर्ज केस हटाने के लिए मथिवनन ने मद्रास हाईकोर्ट का रुख किया...
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
बता दें कि इस पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस जीआर स्वामीनाथन की सिंगल बेंच ने की. जस्टिस स्वामीनाथन ने अपने जजमेंट में कहा कि संविधान के आर्टिकल 19(1) (a) में राइट टु बी फनी को भी जोड़ा जा सकता है.. आर्टिकल 19(1)(a) के तहत हमें राइट टु फ्रीडम एंड एक्सप्रेशन मिला है..जजमेंट की शुरुआत में उन्होंने ये भी कहा कि अगर कोई कार्टूनिस्ट या व्यंग्यकार इस फैसले को दे रहे होते, तो वे फंडामेंटल ड्यूटी में ड्यूटी टु लाफ को भी जोड़ते.. यानी हंसना भी आपके मौलिक कर्तव्यों की लिस्ट में जोड़ा जाता..वहीं आगे उन्होंने कहा कि मजाकिया होना और दूसरे का मजाक उड़ाना दो बिल्कुल अलग-अलग बातें हैं. हमें किस बात पर हंसना चाहिए ये एक गंभीर प्रश्न है.. किसी भी सामान्य व्यक्ति को मथिवनन की फेसबुक पोस्ट देखकर हंसी ही आई होगी..साथ ही कोर्ट ने इस आधार पर मथिवनन पर दर्ज FIR रद्द कर दी..
क्या है राइट टु बी फनी?
इसे सामान्य तौर पर समझें तो राइट टु बी फनी यानी मजाकिया होने का अधिकार.. हाईकोर्ट का मानना है कि जिस तरह संविधान के तहत कई तरह के अधिकार मिले हुए हैं, उसी तरह मजाकिया होने का अधिकार भी दिया जा सकता है..