बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा यानि Special Status दिलाने की मांग नए सिरे से उठाई है. मुख्यमंत्री इस मांग को एक दशक से भी ज्यादा समय से उठाते रहे हैं. वहीं बिहार की उप-मुख्यमंत्री रेणु देवी ने कुछ दिन पहले बयान दिया था कि बिहार को किसी स्पेशल स्टेटस की ज़रूरत नहीं है.
तो आज के know this video में हम आपको बताएंगे कि Special Status होता क्या है? इसकी शुरुआत कब हुई? साथ ही ये भी बताएंगे कि किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा मिलने से उसे क्या लाभ मिलता है? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ..
क्या होता है विशेष राज्य का दर्जा?
वो राज्य जो Geographically Socio-Economically inequalities के शिकार हैं, जिनकी भौगोलिक स्थिति ऐसी है जिससे वहां उद्योग-धंधा लगाना मुश्किल होता है. साथ ही उनमें बुनियादी ढांचे का घोर अभाव होता है और आर्थिक रूप से भी काफी पिछड़े होते हैं. ऐसे में ये राज्य विकास की रफ्तार में पिछड़ जाते हैं. इसके चलते विकास के रास्ते पर इन राज्यों को साथ लेकर चलने के लिए विशेष राज्य का दर्जा दिया जाता है. विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के बाद केंद्र सरकार इन राज्यों को विशेष पैकेज सुविधा और टैक्स में कई तरह की राहत देती है. इससे प्राइवेट सेक्टर इन इलाकों में Investment करने के लिए के प्रोत्साहित होते हैं.और यहां के लोगों को रोजगार मिलता है जिससे उनका विकास सुनिश्चित होता है.
कब हुई थी इसकी शुरुआत?
इसकी शुरुआत 1969 में हुई थी. इस साल योजना आयोग ने कुछ कमज़ोर राज्यों को मदद पहुंचाने के उद्देश्य से उन्हें केन्द्रीय सहायता और टैक्स में छूट देना शुरु किया. इन राज्यों के नागरिकों को स्थानीय नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण देने की बात हुई. बता दें कि शुरुआत में जिन राज्यों को स्पेशल राज्य का दर्जा दिया गया था वो थे आसाम, नागालैंड और जम्मू और कश्मीर. 1979 के बाद 5 और राज्यों हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम और त्रिपुरा को भी इस लिस्ट में जोड़ा गया. इसके बाद साल 1990 में अरुणाचल प्रदेश और मिज़ोरम भी इस लिस्ट में शामिल हो गए, वहीं उत्तराखंड को 2001 में, राज्य के गठन के तुरंत बाद स्पेशल राज्य का दर्जा दिया गया. 2013 में बिहार ने भी विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की थी.
लाभ क्या हैं?
Special Status के फायदे की बात करें तो विशेष राज्य का दर्जा मिलने वाले राज्य को एक्साइज और कस्टम ड्यूटीज, इनकम टैक्स एवं कॉर्पोरेट टैक्स में राहत मिलती है, इसके साथ ही केंद्रीय बजट के खर्च का 30 फीसदी विशेष दर्जा वाले राज्यों के विकास पर खर्च होता है. विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को केंद्र सरकार से जो फंड मिलता है उसमें से 90 फीसदी अनुदान होता है और सिर्फ 10 फीसदी कर्ज होता है, उस पर भी ब्याज नहीं लगता है.
इसलिए बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग
साल 2000 में झारखंड को बिहार से अलग करने के बाद से ही राज्य को विशेष दर्जा देने की मांग हो रही है. इस विभाजन से बिहार के खनिज भंडार वाले इलाके झारखंड में चले गए थे. शायद इसलिए ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की जा रही है..