आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि पटाखों का आविष्कार चीन में हुआ था. हुआ यूं कि चीन के एक शहर में एक रसोइए ने गलती से पोटैशियम नाईट्रेट केमिकल को आग के ऊपर डाल दिया. इससे आग का रंग बदल गया और इस वाकये को देखने वाले लोगों के उत्सुकता जागी कि आखिर ये कैसे हुआ.
फिर रसोइए ने आग में कोयले और सल्फर का मिक्सचर डाला. जिससे तेज़ आवाज के साथ आग की रंगीन लपटें उठने लगीं. फिर क्या था. बस यहीं से पटाखे की ईजाद हो गई. चीन के लोग उत्सवों में बांस की पट्टियों के बीच देसी तरीके से आतिशबाजी करते थे. धीरे-धीरे 1200 से 1700 ईसवी तक पटाखे भारत समेत पूरी दुनिया में लोगों की पसंद बन गए.
साल 1526 के पानीपत के युद्ध में काबुल के सुल्तान बाबर ने भारत में सबसे पहले बारूद का इस्तेमाल किया था. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि भारत में पटाखे और आतिशबाजी मुगलों की देन है. हालांकि इतिहास में इस बात कोई सबूत नहीं मिलता. लेकिन मुगलकाल की किताबों में दिवाली का जिक्र है, कई जगहों पर लिखा है कि लोग अपने घरों को लैंप और मोमबत्ती से सजाकर दिवाली मनाया करते थे. और 1556 में मुगल बादशाह अकबर के शासन काल में दिवाली के जश्न की शुरुआत आगरा से की गई थी. उनसे पहले दारा शिकोह की शादी के समय की पेंटिंग में भी पटाखे जलते दिखते हैं.