अगर संसद का सत्र नहीं चल रहा है, तो आपराधिक मामला दर्ज होने पर किसी भी कैबिनेट मंत्री को गिरफ्तार किया जा सकता है. राज्य सभा से जुड़े नियमों की धारा 22 ए के मुताबिक कैबिनेट मंत्री की गिरफ्तारी का आदेश देने से पहले पुलिस, जज या मजिस्ट्रेट के लिए राज्यसभा के सभापति को जरूरी जानकारियां - जैसे कि गिरफ्तारी की वजह, मंत्री को गिरफ्तार कर कहां रखा जाएगा - ये सब बताना जरूरी है. इसके साथ ही राज्यसभा के चेयरमैन की जिम्मेदारी होती है कि वो परिषद के सभी सदस्यों को इस गिरफ्तारी की जानकारी दें.
Code of Civil Procedure की धारा 135 के मुताबिक सिविल केसेज में, राज्यसभा के सदस्यों को सदन जारी रहने के दौरान ही नहीं बल्कि कार्यवाही शुरू के 40 दिन पहले और 40 दिन बाद भी गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. इस हिसाब से साल में तीन संसदीय सत्र चलते हैं और अमूमन हर सत्र 70 दिन का होता है. इस तरह एक साल में 300 दिन ऐसे होते हैं जब सांसद को गिरफतार नहीं किया जा सकता.
हालांकि गिरफ्तारी से मुक्ति का ये विशेषाधिकार आपराधिक मामलों के लिए नहीं है. भारत में केवल एक ऐसा व्यक्ति है जिसे आपराधिक मामले में भी गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. और वो हैं देश के राष्ट्रपति. राष्ट्रपति जब तक अपने पद पर बने हैं उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकती. गिरफ्तारी के लिए उन्हें राष्ट्रपति पद से हटाना होगा. उनके अलावा देश के प्रधानमंत्री को भी आपराधिक मामले के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है.