सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में अलग ही मूड में नजर आए. विपक्ष उनके निशाने पर था और वो हंसते-हंसते कांग्रेस पर तंज कसते जा रहे थे. महंगाई के मसले पर बोलना शुरू किया तो बीच में नेहरू को ले आए. पीएम बोले देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू महंगाई पर कोरिया का उदाहरण दिया करते थे.. पीएम मोदी ने जवाहरलाल नेहरू के एक भाषण का जिक्र किया.
तो आज के know this वीडियो में हम आपको बताएंगे कि आखिर महंगाई के मसले पर क्या कहते थे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू. उन्होंने महंगाई के मसले पर कोरिया का उदाहरण क्यों दिया था. महंगाई पर दिया नेहरू का वो मशहूर भाषण क्या था. बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ...
पीएम मोदी ने संसद में दिए अपने भाषण में बोले कि देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने कहा था कि कोरिया में अगर कुछ होता है, तो इसका असर यहां की कीमतों पर पड़ता है.. कल्पना कीजिए कि तब कितनी गंभीर समस्या थी.. लेकिन हम इस तरह हार नहीं मानते. उन्होंने आगे कहा कि पंडित नेहरू ने कहा था कि कोरियाई युद्ध मुद्रास्फीति का कारण बना.. उन्होंने कहा कि अमेरिका में किसी भी अशांति की वजह से महंगाई भी होती है. पीएम ने कई बार नेहरू का नाम लेकर कांग्रेस पार्टी को घेरा..
चलिए अब आपको सुनाते हैं नेहरु जी का वो भाषण जिसकी पीएम मोदी ने संसद में चर्चा की थी. और जिसमें उन्होंने कोरिया का जिक्र किया था...
आपको बता दें कि जिस कोरियाई युद्ध का नेहरु जी ने अपने भाषण में जिक्र किया था वो 1950 से 1953 तक चला था.. इस युद्ध में दुनिया की उस समय की दो सबसे ताकतवर या कहें महाशक्तियां अमेरिका और रूस औपचारिक रूप से जुड़े हुए थे.. जिससे जाहिर तौर पर लगने लगा था कि तीसरा विश्व युद्ध हो सकता है..चूंकि 19वीं सदी को कभी कभी " वैश्वीकरण का प्रथम युग " भी कहा जाता है तो ऐसे में जाहिर तौर पर तीसरे विश्व युद्ध की आशंका से दुनिया का व्यापार कई मायनों में प्रभावित हुआ.. आयात-निर्यात के मोर्चे पर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था..
इसके बाद कोरियाई युद्ध की शुरुआत 25 जून, 1950 को उत्तरी कोरिया से दक्षिणी कोरिया पर आक्रमण के साथ हुई..ये शीत युद्ध काल में लड़ा गया सबसे पहला और सबसे बड़ा संघर्ष था... एक तरफ उत्तर कोरिया था जिसका समर्थन कम्युनिस्ट सोवियत संघ और साम्यवादी चीन कर रहे थे तो दूसरी तरफ दक्षिणी कोरिया था जिसकी रक्षा अमेरिका कर रहा था.. पूरी दुनिया दो खेमों में बंटी हुई थी..वहीं इस पूरे घटनाक्रम पर भारत ने किसी का पक्ष नहीं लिया बल्कि दो गुटों में बटी दुनिया को एक तीसरा विकल्प दिया और गुट निरपेक्षता की नीति अपनाई ..
उन्होंने उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया में जारी युद्ध को खत्म करने में एक मध्यस्थ के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी..इसके बाद तटस्थ देशों के बीच उसकी अच्छी-खासी साख बन गई. माना जाता है कि कोरिया युद्ध में अपनी भूमिका की वजह से ही नेहरू आनेवाले सालों में विश्व नेता के तौर पर उभरे थे..