उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 से पहले यूपी के राजनीतिक खेमों में गजब की हलचल मची हुई है. नेता जमकर पार्टियां बदल रहे हैं. सारे राजनीतिक समीकरण बदलने लगे हैं. इसी बीच समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को बड़ा झटका लगा है, कारण है मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव का भाजपा में शामिल होना.. समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव बुधवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं. यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की मौजूदगी में उन्होंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की.
अपर्णा ने कहा कि मैं भाजपा की बहुत आभारी हूं, मेरे लिए देश हमेशा सबसे पहले आता है. मैं पीएम मोदी के काम की प्रशंसा करती हूं.. तो आज के know this video में हम आपको अपर्णा यादव के बारे में सब कुछ बताएंगे बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिये हमारे साथ.
अपर्णा का जन्म 1 जनवरी 1990 को हुआ था. उनके पिता अरविंद सिंह बिष्ट और मां अंबी बिष्ट हैं. परिवार उत्तराखंड का रहने वाला है. उनके पिता पत्रकार रहे हैं. सपा की सरकार में वह सूचना आयुक्त भी रहे. मां लखनऊ नगर निगम की अधिकारी हैं. इनकी स्कूली पढ़ाई की बात करें तो वो लखनऊ के लोरेटो कॉन्वेंट इंटरमीडिएट कालेज से हुई. उन्होंने ब्रिटेन की मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल रिलेशन एंड पॉलिटिक्स में मास्टर डिग्री ली है. अपर्णा यादव, मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना यादव के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं. स्कूल के दिनों में ही अपर्णा और प्रतीक की मुलाकात हुई थी. दोनों ने एक साथ पढ़ाई की है. वहीं पर दोनों के बीच प्यार हुआ. अपर्णा और प्रतीक का ये प्यार करीब आठ साल चला था. एक इंटरव्यू में अपर्णा ने बताया था कि 'हम 8 साल से दोस्त हैं. इसलिए आप हमें हाईस्कूल स्वीटहर्ट्स कह सकते हैं. साल 2010 में सगाई के बाद 2011 में अपर्णा और प्रतीक यादव की शादी सैफई में हुई थी. इनकी एक बेटी है, जिसका नाम प्रथमा है.
अपर्णा एक trained and qualified क्लासिकल सिंगर भी हैं, अपर्णा यादव एनिमल लवर भी हैं. अपर्णा एक एनजीओ ‘बी अवेयर’ चलाती हैं, जो पशु कल्याण के लिए काम करती है. वो कान्हा गौशाला भी चलाती हैं. साथ ही महिला सुरक्षा और महिलाओं के खिलाफ अपराधों से जुड़े मुद्दों पर भी काम करती रही हैं.
अपर्णा यादव 2017 विधानसभा चुनाव से पहले राजनीति में कुछ खास सक्रिय नहीं थीं. 2017 में समाजवादी पार्टी राजनीतिक और पारिवारिक कलह से जूझ रही थी. इस दौरान प्रतीक यादव की मां और मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता ने बेटे प्रतीक यादव के लिए टिकट मांगा था. इसको लेकर काफी विवाद हुआ. प्रतीक के राजनीति में न आने पर अपर्णा यादव ने सास की इच्छा पूरी की. इसके बाद साधना के परिवार से अपर्णा सक्रिय राजनीति में आ गईं. 2017 में अपर्णा यादव ने सपा के टिकट पर लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट से पहली बार चुनाव लड़ा. लेकिन अपर्णा को करीब 33 हजार वोटों के अंतर से बीजेपी की रीता बहुगुणा जोशी के सामने हार का सामना करना पड़ा. हालांकि उनके लिए अखिलेश यादव ने भी प्रचार किया था.
अपर्णा उस वक़्त सुर्खियों में आईं जब उन्होंने वर्ष 2014 में स्वच्छ भारत अभियान के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी की तारीफ की थी. साल 2017 में अपर्णा यादव ने कहा था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार प्रदेश में अच्छा काम कर रही है. तब मीडियाकर्मियों ने अपर्णा से पूछा था कि वो अपर्णा बिष्ट हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वास्तविक नाम अजय कुमार बिष्ट है. इस पर अपर्णा यादव ने कहा कि वो भी बिष्ट हैं. हम भी बिष्ट हैं..दोनों भाई-बहन जैसे हैं.
अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले समाजवादी पार्टी राम मंदिर पर बोलने से हमेशा बचती थी, लेकिन अपर्णा ने ऐसा नहीं किया वो इसकी अपवाद रहीं.. नवंबर 2018 में उन्होंने कहा था कि 'भगवान श्रीराम किसी पार्टी के नहीं हैं बल्कि सबके हैं. मैं तो भगवान श्रीराम के साथ हूं. चाहती हूं कि श्रीराम का मंदिर बने पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने की बात कही है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का भी इंतजार करना चाहिए. इसके साथ ही वो अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के लिए 11 लाख 11 हजार रुपए का चंदा भी दे चुकी हैं. वहीं राजनीतिक पंडितों का कहना है कि जब से अखिलेश यादव सपा मुखिया बने हैं, तब से अपर्णा यादव समाजवादी पार्टी से कटी-कटी रहती थीं. यही वजह है कि आज जब अपर्णा यादव ने भाजपा का दामन थाम लिया.
आखिर में बस ये ही कि कारण जो भी हो लेकिन मुलायम सिंह यादव की छोटी बहु ने बीजेपी का दमन थाम लिया है, जिसे सीधे तौर पर चुनाव से पहले यादव परिवार में सेंध के तौर पर देखा जा रहा है.