केंद्र सरकार ने पिछले साल लागू हुए तीन नए कृषि कानूनों को वापस ले लिया है. किसान इस फैसले से खुश तो हैं लोकिन अभी भी वो आंदोलन खत्म करने के मूड में नहीं है. किसान नेता और किसान संगठन इस बात पर लामबंद हैं कि MSP पर कानून बने. भारत किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि जब तक MSP पर कानून नहीं बनेगा, आंदोलन खत्म होने वाला नहीं है.
आज इस वीडियो में हम आपको MSP के बारे में सब कुछ बताएंगे. ये कैसे तय की जाती है, किन फसलों पर दी जाती है? किसनों की इसको लेकर क्या मांग है और सरकार का इस पर क्या रुख है?
सबसे पहले जानते हैं कि MSP क्या है?
MSP,मिनिमम सपोर्ट प्राइस या फिर न्यूनतम समर्थन मूल्य. ये वो न्यूनतम मूल्य है जिस पर सरकार किसनों की फसल खरीदती है. सरकार किसानों को कुछ फसलों पर दाम की गारंटी देती है कि किसानों को फसल का कम से कम मूल्य तो मिलेगा ही भले ही सरकार को फसल खरीदना पड़े. बाजार में फसल के दाम कितने ही कम क्यों न हो, सरकार उसे किसानों से तय एमएसपी पर खरीदेगी. इससे किसानों को नुकसान होने की संभावना कम रहती है. साथ ही किसानों को अपनी फसल की एक तय कीमत के बारे में पता चल जाता है. फिर ये किसान की मर्जी है कि वो फसल को सरकार को एमएसपी पर बेचे या फिर व्यापारी को आपसी सहमति से तय कीमत पर. MSP का ऐलान फसल की बुवाई से ठीक पहले होता है ताकि किसानों को भरोसा रहे. पूरे देश में किसी भी फसल पर एक ही MSP होती है.
कौन तय करता है MSP?
CACP यानी Commission for Agricultural Costs & Prices MSP तय करती है. CACP खेती की लागत के आधार पर फसलों की कम से कम कीमत तय करके अपने सुझाव सरकार को भेजता है. फिर सरकार इन सुझाव पर स्टडी करने के बाद MSP की घोषणा करती है. फिलहाल देश में 23 फसलों पर MSP की व्यवस्था लागू है. इनमें अनाज की 7, दलहन की 5, तिलहन की 7 और 4 कमर्शियल फसल शामिल हैं.
MSP पर किसानों की क्या मांग है?
दरअसल एमएसपी को कोई वैधानिक समर्थन हासिल नहीं है...ऐसे में किसान इसे अधिकार के रूप में मांग नहीं सकते हैं. इसलिए किसान संगठन चाहते हैं कि सरकार MSP को अनिवार्य दर्जा देने वाला कानून बनाए. किसानों की मांग है कि सरकार एमएसपी की गारंटी दे और इससे कम कीमत पर खरीद को सरकार अपराध घोषित करें.
सरकारें क्यों बचती रही है?
agricultural experts के मुताबिक, एमएसपी को कानूनी अधिकार बना दिए जाने से बड़ा नुकसान हो सकता है. नुकसान ये कि फिर किसान केवल उन्हीं फसलों को उगाने की बात सोचेगा जिसमें उसे आसानी से फायदा मिलेगा. इससे देश में उन फसलों की कमी हो सकती है जिसकी ज्यादा आवश्यकता है. साथ ही उन अनाजों का भंडार जमा हो जाएगा जो देश में पहले से ज्यादा है, जैसे धान और गेहूं. कानून बनने के बाद अगर सभी 23 फसलों की खरीद एमएसपी पर खरीदना पड़े तो अनुमान है कि सरकार को इसके लिए करीब 17 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने पड़े सकते हैं. साथ ही एमएसपी के दायरे में आने वाली 23 फसलों के बाहर के फसल का उत्पादन करने वाले किसान भी इसकी मांग करेंगे.