देश में आम आदमी की सबसे बड़ी परेशानी है पेट्रोल डीजल के बढ़ते दाम. लेकिन हैरानी वाली बात है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने के बावजूद देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. लगभग पिछले 90 दिनों से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. माना जा रहा है कि इसकी वजह पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव हैं. आज नो दिस के इस वीडियो में हम समझने की कोशिश करेंगे कि पिछले ढाई महीने से देश में पेट्रोल-डीजल की कीमत क्यों नहीं बढ़ी है ? साथ ही जानेंगे कि चुनावों के दौरान पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर कैसे रोक लग जाती है. आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
हम सभी जानते हैं कि इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत से ही देश में पेट्रोल-डीजल की कीमत तय होती है. इंटरनेशनल मार्केट की बात करें तो जनवरी में कच्चे तेल की कीमत लगभग 30% बढ़कर 88 डॉलर/बैरल तक पहुंच गई हैं. कहा जा रहा है कि 2014 के बाद ये कच्चे तेल की सबसे ज्यादा कीमत है. एक्सपर्ट का मानना है कि कच्चे तेल की कीमत आने वाले महीनों में 100 डॉलर/बैरल तक जा सकती है लेकिन देश में ईंधन की कीमतें स्थिर बनी हुईं है...माना जा रहा है कि इसकी वजह विधानसभा चुनाव ही है. यूपी में चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आएंगे... अंदाजा है कि चुनाव खत्म होते ही तेल की कीमतों का बढ़ना भी शुरू हो जाएगा.
बता दें पिछले साल 3 नवंबर को केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर Excise duty में पांच और 10 रुपए घटाने की घोषणा की थी. उसके बाद ईंधन की कीमतों में तेजी से कमी आई थी. 4 नवंबर के बाद से अब तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है.
वैसे ये पहली बार नहीं है जब चुनावों से पहले पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ना बंद हो गया हो. 2017 में जनवरी से अप्रैल के बीच करीब तीन महीने तक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में ठहराव रहा था. तब उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे. दिसंबर 2017 में गुजरात विधानसभा चुनावों से पहले लगातार 14 दिनों तक तेल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ था.
2020 में कर्नाटक विधानसभा चुनावों के दौरान लगातार 20 दिनों तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान अक्टूबर से नवंबर 2020 तक पेट्रोल-डीजल के दामों में कोई चेंज नहीं हुआ. 2021 में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल, पुडुचेरी में चुनाव हुए थे. इन चुनावों को देखते हुए 23 फरवरी के बाद से पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर ब्रेक लग गया था. हर बार देखा गया कि चुनाव खत्म होते ही फिर से पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ना शुरू हो गई थी.
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को देखते हुए इस कदम को बीजेपी का बड़ा दांव माना जा रहा है. एक अनुमान के मुताबिक इस फैसले से सरकार को फाइनेंशियल ईयर 2021-22 के बाकी बचे महीनों में 45 हजार करोड़ और सालाना आधार पर करीब एक लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है. अब तो चुनाव नतीजों के बाद ही सरकार ये सोच सकती है कि इस नुकसान की भरपाई कैसे की जाए।