कोयले की खदान, लाखों लोगों का रोजगार!
ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कोयला इंडस्ट्री से लगभग 40 लाख लोग जुड़े हैं. ज्यादातर कोयला की खदानें झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में हैं, इन सभी इलाकों में अर्थव्यवस्था काफी हद तक कोयले पर ही निर्भर है. लोकल कम्युनिटी के लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी को चलाने के लिए कोयले की खदानों में मजदूरी करते है. यानि अगर कोयले की खदानें बंद होती हैं तो बहुत से लोगों का रोजगार छिन जाएगा.
भारत की करेंसी और अर्थव्यवस्था पर भी खतरा
भारत नेपास समेत कई पड़ोसी देशों को अपने यहां से कोयला भेजता है जिससे उसे आमदनी होती है. ऐसे में कोयले की कमी के कारण देश में महंगाई और उसके आयात और निर्यात में बड़ा फर्क आ जाएगा यानि भारत का व्यापार घाटा भी बढ़ सकता है. वहीं भारत की करेंसी रुपया भी इससे काफी हद तक प्रभावित होने वाला है जो डॉलर के मुकाबले में पहले से कमजोर हो सकता है
कोयले की कमी बंद करा सकती है कई फैक्ट्रियां
देश में कोयले की कमी के कारण सीमेंट और स्टील समेत कई चीजों के प्रोडक्शन में भी गिरावट देखी जा रही है, क्योंकि कोयला नहीं मिलने से कई पावर प्लांट्स में बिजली प्रोडक्शन नहीं हो पा रहा है जिससे इन चीजों का प्रोडक्शन रुका हुआ है. वहीं प्रोडक्शन कम होने से सीमेंट के दाम भी बढ़ने के पूरे आसार हैं. इसके अलावा कोयले का इस्तेमाल पेंट, पोलिश, टाइपराइटर, टायर, ट्यूब और जूते बनाने के लिए भी किया जाता है, अब अगर देश में कोयले की कमी होगी तो जाहिर है इन सभी प्रोडक्ट्स की डिमांड और सप्लाई पर भी भारी असर पड़ेगा जिससे महंगाई के सीधे-सीधे बढ़ने के पूरे आसार हैं.