गैस सिलेंडर हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है. इसकी मदद से ही हम तरह-तरह के व्यंजन बनाते हैं. रसोई में कोई भी छोटा हो या बड़ा आसानी से गैस सिलेंडर का इस्तेमाल कर लेता है. लेकिन अगर कभी आपने गौर किया हो तो देखा होगा कि सिलेंडर के ऊपरी हिस्से पर कुछ नंबर लिखे होते हैं. इन नंबरों का क्या मतलब होता है? और इन्हें सिलेंडर पर क्यों लिखा जाता है आज के KNOW THIS VIDEO में हम आपको बताएंगे.. बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ..
सबसे पहले जानते हैं कि
सिलेंडर पर लिखे कोड का क्या मतलब होता है?
ये कोड्स जो सिलेंडर पर लिखे होते हैं ये आपकी सुरक्षा के लिए सिलेंडर पर प्रिंट किए जाते हैं. इन कोड्स की शुरुआत में लिखे अंग्रेजी अक्षर A, B, C, D के 4 ग्रुप में होते हैं. इन अक्षरों का संबंध साल के 12 महीनों से होता है. A अक्षर का इस्तेमाल जनवरी, फरवरी, और मार्च महीने के लिए होता है. वहीं B अक्षर का इस्तेमाल अप्रैल, मई और जून महीने के लिए किया जाता है. उसी तरह C अक्षर का इस्तेमाल जुलाई, अगस्त और सितंबर महीने के लिए होता है तो D का इस्तेमाल अक्टूबर, नबंर और दिसंबर के लिए किया जाता है. इन अक्षरों के बाद आने वाले अंक साल दर्शाते हैं. तो अगर सिलेंडर पर लिखा होगा- A.21 तो उसका मतलब हुआ साल 2021 का जनवरी, फरवरी या मार्च का महीना.
कोड दिखाते हैं एक्सपायरी डेट और टेस्टिंग का वक्त
जैसे कि हमने आपको बताया कि सिलेंडर में लिखे अक्षर साल के 12 महीनों को दिखाते हैं तो वहीं इन अक्षरों के बाद आने वाले अंक साल को दर्शाते हैं. दरअसल ये तारीख खाने-पीने के सामानों की तरह, एक्सपायरी डेट दर्शाती है. अगर आपके सिलेंडर पर B.22 लिखा है तो उसका मतलब होगा कि आपका सिलेंडर अप्रैल, मई और जून 2022 में एक्सपायर होने वाला है. ये नंबर सिलेंडर की टेस्टिंग का वक्त भी बताते हैं. ऊपर दिए गए उदाहरण के अनुसार सिलेंडर की टेस्टिंग अप्रैल, मई और जून 2022 में होगी. अगर आप ऐसा सिलेंडर लेते हैं जिसकी टेस्टिंग की डेट यानी एक्सपायरी डेट निकल चुकी है, तो वो सिलेंडर आपके लिए हानिकारक हो सकता है.
गैस सिलेंडर कैसे बनते हैं?
LPG गैस सिलेंडर को BIS 3196 मानक के हिसाब से बनाया जाता है. इन्हें वो ही कंपनियां बना सकती हैं जिन्हें BIS लाइसेंस के साथ CCOE यानी चीफ कंट्रोलर ऑफ एक्स्प्लोसिव से approval मिला हो. वहीं जब सिलेंडर बनता है तो हर लेवल पर टेस्ट किए जाते हैं. BIS कोड्स एंड गैस सिलेंडर रूल्स, 2004 के हिसाब से, सिलेंडर को बांटने से पहले टेस्ट होता है. 10 साल के बाद सारे नए सिलेंडरों को बड़ी टेस्टिंग के लिए भेजा जाता है. फिर 5 साल के बाद भी उसी प्रकार टेस्टिंग होती है. जब गैस सिलेंडर प्रेशर टेस्ट को पास कर लेते हैं तभी सर्कुलेशन में लाए जाते हैं. बता दें कि आमतौर पर एक गैस सिलेंडर की 15 साल तक की लाइफ होती है और उस समय के दौरान दो बार tests किए जाते हैं. हर दिन इस्तेमाल में आने वाले कुल सिलेंडरों का 1.25% को टेस्ट्स के लिए निकाला जाता है और इनमें से एक छोटा प्रतिशत खत्म हो जाता है. क्योंकि सिलेंडर के लीकेज को पानी भरकर hydro test के जरिये जांचा जाता है और साथ ही एक और टेस्ट किया जाता है, जिसमें आमतौर पर जिस सिलेंडर में दबाव होता है उसका पांच गुना ज्यादा दबाव दिया जाता है.इसी के साथ अगर सिलेंडर इन टेस्ट्स में से किसी में भी फेल हो जाता है.तो इसे नष्ट कर दिया जाता है.
ऐसे में हम ये कह सकते हैं कि पूरी जांच के बाद ही गैस सिलेंडर आपके पास पहुंचता है लेकिन गैस सिलेंडर लेने से पहले एक बार उसकी जांच आप जरूर कर लें.
हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपको कैसे लगी कमेंट सेक्शन में लिखकर जरूर बताएं, साथ ही देश-दुनिया....