उत्तराखंड में बादल काल बनकर बरसें है. अब तक 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और कई लापता हैं. सड़कें, नदियाँ में तब्दील हो गई और नदियाँ उफान पर है, कहीं पुल टूट कर बह गए तो कहीं आशियाने ज़मींदोज हो गए. ये हाल अकेले उत्तराखंड का नहीं, बल्कि देश के कई राज्यों में बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही. उत्तर से दक्षिण तक बस पानी ही पानी. लेकिन सवाल ये कि अक्टूबर के महीने में आसमान से आफत क्यों बरस रही है ? इतनी भयानक बारिश की वजह क्या है? ये बारिश आखिर कब तक होती रहेगी? इस हालात पर मौसम विभाग की क्या राय है?
अक्टूबर मानसून की विदाई का महीना होता है लेकिन इस साल अक्टूबर महीने में हुई बारिश ने 61 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया. हालाँकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि अक्टूबर में बारिश होना कोई असामान्य बात नहीं है. मौसम के लिहाज से ये परिवर्तन का महीना माना जाता है. और इस दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून लौटता है, और उत्तर-पूर्वी मानसून को रास्ता देता है. आमतौर पर ये बदलाव ही southern peninsular India पर असर डालता है. इसके अलावा western disturbance की वजह से भी देश के उत्तरी इलाकों के स्थानीय मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है. और इसी वजह से बारिश या बर्फबारी हो रही है.
Southwest मॉनसून आम तौर पर चार महीने तक रहता है. और अक्टूबर की शुरुआत तक पूरी तरह वापस लौट जाता है. वापसी के दौरान इसकी वजह से गरज के साथ भारी बारिश होती है. सामान्य तौर पर मॉनसून की विदाई की शुरुआत 17 सितंबर को हो जाती है लेकिन इस साल मॉनसून की वापसी 6 अक्टूबर से शुरू हुई. जिसके बाद अब तक मॉनसून पश्चिमी, उत्तरी, मध्य और पूर्वी भारत से लौट चुका है. लेकिन southern peninsula में ये अब भी सक्रिय है. जिसकी वजह से केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में पिछले 10 दिनों में भारी बारिश हुई है.
IMD ने इस पर क्या कहा?
IMD के Director General मृत्युंजय महापात्र के मुताबिक आमतौर पर मिड अक्टूबर तक मॉनसूनी हवाएं अपनी डायरेक्शन दक्षिण-पश्चिम से बदलकर उत्तर-पूर्व की ओर कर देती हैं. इस साल Northeast Monsoon की शुरुआत के लिए 25 अक्टूबर के आसपास माहौल बनने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि climate change की वजह से साल भर extreme weather कंडीशन की घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है. लेकिन इस तरह की भारी बारिश की घटनाओं के लिए low-pressure system भी जिम्मेदार हैं.
IMD के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में 1960 के बाद पहली बार इस साल अक्टूबर के महीने में सबसे ज्यादा बारिश हुई. शहर में 93.4 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है. वैज्ञानिकों की मानें तो मॉनसून में देरी और कम दबाव के क्षेत्रों के विकास जैसे फैक्टर्स के चलते कई राज्यों में बारिश हुई है.
बारिश कब तक होती रहेगी?
केरल में low-pressure systems यानि कम दबाव का सिस्टम अब कमजोर हो गया है. लेकिन central India में ये सिस्टम अब भी सक्रिय है. जिससे इस हफ्ते उत्तर भारत में अच्छी बारिश होने की संभावना है. इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश की संभावना है. इन जगहों के लिए आईएमडी ने ‘रेड’ अलर्ट जारी किया है.