ये तो आप जानते ही हैं कि भारतीय संसद के दो सदन हैं एक लोकसभा और दूसरा राज्य सभा. लेकिन क्याय आपने कभी दोनों सदनों की तस्वीारों को गौर से देखा है. अगर आप उन्हें देखेंगे तो आपको दोनों सदनों की तस्वीनरों में कई फर्क नजर आएंगे. एक छोटा सा फर्क है दोनों सदनों के कार्पेट के कलर्स का.. दरअसल लोकसभा में कार्पेट का रंग हरा और राज्य सभा में बिछे कार्पेट का रंग लाल होता है. दोनों सदनों में अलग-अलग रंग वाले कार्पेट के बिछे होने की एक बड़ी वजह है. क्या है वो वजह आज के know this वीडियो में आपको बताएंगे साथ ही आपको संसद के इतिहास के बारे में भी बताएंगे बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिये हमारे साथ...
क्यों होते हैं अलग-अलग कारपेट?
गोल इमारत यानी कि संसद भवन के अंदर लोकसभा और राज्यसभा दो सदन सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं.. लोकसभा में हरे रंग की कार्पेट बिछाई गई है. दरअसल लोकसभा पहुंचने वाले जनप्रतिनिधि का चुनाव जनता करती है. ये जनप्रतिनिधि जमीनी तौर पर जनता से जुड़े होते हैं. घास और खेती के रंग को इसके प्रतीक के तौर पर माना जाता है. इसलिए यहां हरे रंग की कार्पेट बिछी होती है..
वहीं राज्यसभा की बात करें तो राज्यसभा संसद का उच्च सदन है. इसमें प्रतिनिधि सीधे चुनाव के ज़रिये नहीं बल्कि राज्यों के जन प्रतिनिधियों के आंकड़ों के हिसाब से पहुंचते हैं. यहां लाल रंग की कार्पेट बिछी हुई नजर आती है. यह रंग राजसी गौरव और स्वानधीनता संग्राम में शहीदों के बलिदान का प्रतीक माना जाता है. इसलिए राज्यवसभा के लिए कार्पेट का रंग लाल चुना गया.
संसद भवन का इतिहास
भारतीय संसद भवन का निर्माण 12 जनवरी, 1921 को शुरू हुआ था. इसे पूरा होने में करीब 6 साल का समय लगा. कहा जाता है कि संसद भवन की डिजाइन मध्यु प्रदेश के प्राचीन चौसठ योगिनी मंदिर से प्रेरित है. इसे तैयार करने में लगे खर्च की बात करें तो इसे बनाने में 83 लाख रुपये की लागत आई थी. बता दें कि संसद को गोलाकर संरचना के रूप में बनाया गया है. इसका निर्माण ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस ने किया था.
संसद भवन में सेंट्रल हॉल, लाइब्रेरी, म्यूज़ियम और कैंटीन
भारतीय संसद भवन में सेंट्रल हॉल, लाइब्रेरी, म्यूज़ियम और कैंटीन की भी व्यवस्था है. सेंट्रल हॉल की ख़ास बात ये है कि जब भी कभी दोनों सदनों का संयुक्त सत्र बुलाया जाता है तो राज्य सभा और लोकसभा दोनों सदनों के सदस्यस संसद के सेंट्रल हॉल में इकट्ठा होते हैं. यहां बैठक की जाती है. दोनों सदनों से जुड़ी एक intersting जानकारी ये भी है कि अगर इसका एरियल व्यू देखा जाए, तो लोकसभा और राज्यसभा के कमरों का आकार अर्धगोलाकार जैसा है यानी घोड़े की नाल जैसा.वहीं संसद भवन की लाइब्रेरी की बात करें तो संसद भवन के परिसर में ही बनी हुई है. ये लाइब्रेरी देश की दूसरी सबसे बड़ी लाइब्रेरी है. बलभद्र स्टेट, कोलकाता स्थित नेशनल लाइब्रेरी देश में सबसे बड़ी है, जहां 22 लाख से ज़्यादा किताबों का संग्रह है.
बता दें कि संसद भवन की लाइब्रेरी परिसर में एक म्यूजियम भी है, जो देश की सांस्कृतिक विरासत को दिखाता है. इसके अलावा इसकी कैंटीन की बात करें तो संसद भवन की कैंटीन भी कई बार सुर्खियों में रह चुकी है क्योंकि यहां बेहद कम दामों में खाना मिलता है.. 3 कोर्स भोजन यहां सिर्फ 61 रुपये में उपलब्ध होता है.