ताजमहल लंबे समय से विवादों से घिरा रहा है. कभी रामनामी दुपट्टे को लेकर विवाद, तो कभी प्रदेश सरकार की टूरिज्म बुकलेट में ताज का नाम न होने पर विवाद। वहीं पिछले दिनों भगवा पहनकर जगद्गुरु परमहंसाचार्य के प्रवेश को लेकर भी खूब विवाद हुआ था, कुलमिलाकर ताजमहल और विवाद साथ-साथ चलते हैं. अभी की बात करें तो दुनिया के सात अजूबों में से एक और प्यार की निशानी ताजमहल को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच में एक याचिका दायर की गई है. इसमें ताजमहल के 22 कमरे (Taj Mahal 22 Rooms) खोले जाने के लिए कहा गया है, ताकि पता चल सके कि कमरों के अंदर देवी-देवताओं की मूर्तियां और शिलालेख हैं या नहीं. मतलब कि ये याचिका ताजमहल के शिव मंदिर या तेजो महालय होने का दावा करती है. इस पर मंगलवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन वकीलों की हड़ताल के चलते यह टल गई है..
तो आज के know this वीडियो में हम आपको बताएंगे कि आखिर ताजमहल के 22 कमरों का राज क्या है साथ ही बताएंगे इस विवाद की पूरी कहानी।। बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
दरअसल फारसी, भारतीय और इस्लामी वास्तुकला की अनोखी शैली से बने ताजमहल को मोहब्बत की निशानी कहा जाता है. दावा किया जाता है कि मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में यमुना के किनारे सफेद संगमरमर से इसे बनवाया था. ताजमहल जितना खूबसूरत है, उतने ही विवाद भी इसके साए में पड़े रहे हैं.1666 में शाहजहां तो मर गया, मगर विवाद जिंदा रहा. यदा कदा आवाजें आती रहीं कि ताजमहल दरअसल तेजोमहालय है और हिंदुओं की आस्था का केंद्र है. ऐसी ही एक फिर से उठी है. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में अयोध्या में बीजेपी के मीडिया प्रभारी रजनीश सिंह ने एक याचिका दायर की है.
याचिकाकर्ता रजनीश सिंह ने इस मामले में राज्य सरकार से एक समिति गठित करने की मांग की है। उनकी मांग है कि यह सरकार की ओर से गठित समिति ही ताजमहल के बंद कमरों की जांच करे। हिंदू मूर्तियों और धर्म ग्रंथों से जुड़े सभी तथ्यों और साक्ष्यों की जांच-पड़ताल भी करे।
वहीं ताजमहल के बंद पड़े 22 कमरों में क्या है? इस सवाल का जवाब अभी तक सामने नहीं आया है। इन कमरों को खोलने की इजाजत किसी को नहीं है। इतिहासकारों की ओर से भी इस मामले पर राय बंटी हुई है। ताजमहल को कई इतिहासकार मुगलकाल का बेहतरीन आर्किटेक्चर बताते हैं। वहीं, दूसरी तरफ कुछ इतिहासकारों का मानना है कि ताजमहल के आसपास हिंदू आर्किटेक्चर भी हो सकते हैं। लेकिन, उन 22 कमरों में क्या है, इसको लेकर कोई भी कुछ ठोस दावा कर पाने की स्थिति में नहीं दिख रहे।
ये विवाद कब से शुरू हुआ इसकी बात की जाए तो इसकी शुरुआत इतिहासकार पीएन ओक की किताब 'ट्रू स्टोरी आफ ताज' से हुई थी. इस किताब में ताजमहल के शिव मंदिर होने से संबंधित कई दावे किए थे. कुछ इतिहासकारों का दावा है कि ताजमहल में मुख्य मकबरे व चमेली फर्श के नीचे 22 कमरे बने हुए हैं जिन्हें बंद कर दिया गया है.
इतिहासकारों का मानना है कि चमेली फर्श पर यमुना की तरफ बने बेसमेंट में नीचे जाने के लिए दो जगह सीढ़ियां बनी हुई हैं. करीब 45 साल पहले सीढ़ियों से नीचे जाने का रास्ता खुला था.इन्हीं 22 कमरों को खोलने के लिए याचिका दायर की गई है.