आर्टिफिशियल रेन एक scientific process है जिसे क्लाउड सीडिंग तकनीक के जरिये कराया जाता है. इसमें आर्टिफिशियल क्लाउड बनाये जाते हैं, ये पुरानी और सबसे कॉमन तकनीक है.. बता दें कि आर्टिफिशियल रेन कराने की 2 तकनीक हैं एक नई और एक पुरानी.
पहली है- परंपरागत क्लाउड सीडिंग- इसमें Atmosphere में हेलीकॉप्टर या विमानों के जरिये कुछ रसायन जैसे कि सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड और ड्राई आईस के कणों का छिड़काव किया जाता है ये कण हवा में मौजूद पानी के वेपर जिसे हम भांप कहते है, उसे ATTRACT करके बादल बनाते हैं जिससे बारिश होती है.दूसरी है- आधुनिक ड्रोन क्लाउड सीडिंग : ये वो ही तकनीक है जिसका इस्तेमाल दुबई ने किया है.उसने क्लाउड सीडिंग के लिए नया तरीका अपनाया है. इस तकनीक में बिजली का करंट देकर बादलों में फ्रिक्शन पैदा किया जाता है. ये तकनीक पुरानी तकनीक के मुकाबले अच्छी मानी जाती है. इसमें बादल बनाने के लिए बैटरी से चलने वाले ड्रोन के जरिये ELECTRIC CURRENT का इस्तेमाल कर क्लाउड सीडिंग की जाती है. हालाँकि विमान के जरिये भी ये काम हो सकता है, लेकिन इसमें बैटरी से चलने वाले ड्रोन का इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि वो environment friendly होते हैं. साथ ही, इस तकनीक का इस्तेमाल बारिश को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है.