Covid-19 से पहले भारत चेचक, प्लेग, हैजा और पोलियो जैसी कई महामारियों का प्रकोप झेल चुका है. पिछले 400 सालों में हर 100 साल बाद दुनिया में एक ना एक ऐसी महामारी जरूर आई जिसने चारों तरफ तबाही मचा दी. 1918-20 में दुनिया ने स्पैनिश फ्लू की तबाही देखी. जिसमें कम से कम 2 से 5 करोड़ के बीच लोग मारे गए. दुनिया में स्पैनिश फ्लू की तीन अलग-अलग वेव्स और H1N1 इन्फ्लूएंजा महामारी की दो अलग-अलग wave आ चुकी हैं.
लेकिन हर महामारी की लहर हो यह जरूरी नहीं. क्योंकि हर लहर किसी खास पैटर्न पर BASED होता है और सभी संक्रामक रोगों में पैटर्न नहीं होता. इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि हर महामारी की लहर आती ही है. ना ही यह दावा किया जा सकता है कि किस महामारी की कितनी लहर आएगी.
सच कहा जाये तो महामारी के वेव की कोई लिखित definition नहीं है. आसान शब्दों में यह समझिए कि संक्रमण की स्थिति जब बेकाबू हो जाए – बीमारी की बाढ़ आ जाए तो उसे लहर का उठना और हालात सामान्य हो जाए तो उसे लहर का उतरना कहते हैं. अगर MEDICAL HISTORY की बात करें तो पहले वेव टर्म को उन मौसमी बीमारियों के लिए इस्तेमाल किया जाता था जो साल में एक निश्चित समय पर लहर की तरह उठती थीं और लहर की तरह ही गिरकर खत्म हो जाती थीं.