टेक्नोलॉजी के इस दौर में हम सबकी जिंदगी पूरी तरह से बैटरी पर डिपेंड होती जा रही है. छोटा सा स्मार्टफोन हो या कोई गाड़ी.. स्मार्टवॉच से लेकर तमाम डिवाइस अब बैटरी पर चलते हैं. इसके चलते मार्केट में लंबे वक्त तक चलने वाली सस्ती बैटरियों की डिमांड भी काफी बढ़ गई है. खबर है कि अब एक ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम हो रहा है जिससे बैटरी 2-4 साल तक नहीं बल्कि 28 हजार साल तक काम करेगी. नाम है नैनो डायमंड बैटरी... आज नो दिस के इस वीडियो में हम आपको इस नई लॉन्ग लास्टिंग बैटरी के बारे में सब कुछ बताएंगे. जानेंगे कि ये अनोखी टेक्नोलॉजी क्या है और ये बैटरी कैसे काम करेगी? आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
NDB यानि नैनो डायमंड बैटरी एक न्यूक्लियर जेनरेटर की तरह काम करती है. सेल्फ-चार्जिंग प्रोसेस के चलते ये बैटरी 28,000 साल तक चल सकती है यानि इससे कोई भी डिवाइस या मशीन पूरी जिंदगी के लिए चार्ज रह सकती है. इस सेल्फ चार्जिंग प्रोसेस के लिए बैटरी को सिर्फ प्राकृतिक हवा की जरूरत होती है.
ये एक हाई पॉवर, डायमंड-आधारित अल्फा, बीटा और न्यूट्रॉन वोल्टाइक बैटरी होती है. डायमंड बैटरियां परमाणु कचरे से बनती हैं. DW की रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में 3 लाख टन से ज्यादा का परमाणु कचरा मौजूद है. इन बैटरियों को परमाणु रिएक्टर से निकले radioactive ग्रेफाइट घटकों को गर्म करके बनाया जाता है. पहले radioactive कार्बन को कार्बन 14 गैस में बदला जाता है. इसी प्रक्रिया के दौरान भारी दवाब डालकर इसे Synthetic diamond में बदला जाता है. ये ऐसे हीरे होते हैं जो बिजली की सप्लाई करने में सक्षम होते हैं. इन हीरों का इस्तेमाल सभी तरह और आकारों की बैटरियों में किया जा सकता है.
पूरी जिंदगी काम करने वाली डिवाइसों में इन बैटरियों का इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे सेंसर, घड़ियां, पेसमेकर्स आदि. ये वो डिवाइस हैं जहां बैटरी बदलना काफी मुश्किल होता है. इसके अलावा इन बैटरियों का इस्तेमाल भविष्य में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भी किया जा सकता है जैसे अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले रॉकेट, सैटेलाइट आदि. एक से ज्यादा बैटरियों को जोड़कर और ज्यादा ऊर्जा पैदा की जा सकती है. ये ऊर्जा इतनी हो सकती है कि किसी गांव या कस्बे को रोशन कर सकती है.
DW की रिपोर्ट के मुताबिक इन बैटरियों में हल्की मात्रा में radioactivity होती है जिसे ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के जरिए काबू किया जा सकता है. बाजार में अभी तक इन बैटरियों को बनाया नहीं गया है लेकिन कंपनियां इनके प्रोटोटाइप पर काम कर रही हैं. एक अनुमान के मुताबिक इस साल तक ये बैटरी बाजार में आ जानी चाहिए. इन बैटरियों के इस्तेमाल से टेक इंडस्ट्री में बड़े बदलाव की उम्मीद की जा रही है.