रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इन दिनों यूक्रेन पर आक्रमण को लेकर खूब चर्चा में हैं. राजधानी कीव पर कब्जे को लेकर लिए गए उनके फैसलों की हर जगह आलोचना हो रही है. इस बीच पुतिन की सेहत को लेकर भी कई खबरें सामने आ रही है. यूके की खुफिया एजेंसी MI6 के प्रमुख सर रिचर्ड डियरलोव का कहना है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन को पार्किंसंस बीमारी हो सकती है. पिछले साल भी पुतिन की इस बीमारी को लेकर कई खबरें सामने आई थी. आज नो दिस के इस वीडियो में हम आपको इस बीमारी के बारे में सब कुछ बताएंगे. जानेंगे पार्किंसंस बीमारी क्या है, इसके लक्षण क्या हैं और इसका इलाज कैसे होता है? आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
नेशनल इंस्टीनट्यूट ऑफ एजिंग के मुताबिक, पार्किंसंस डिजीज एक ब्रेन डिसऑर्डर है. इसे न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसऑर्डर के रूप में भी जाना जाता है. यह ब्रेन से जुड़ी बीमारी है जिसका असर पूरे शरीर पर होता है. बता दें पार्किंसंस बीमारी ठीक होने वाली बीमारी नहीं है. हालांकि दवाओं से इसके लक्षणों में सुधार लाया जा सकता है.
ज्यादातर डॉक्टर इस बीमारी के इलाज के लिए जीवन-शैली में बदलाव, दवाई, थेरेपी, एक्सरसाइज़ और डीप ब्रेन स्टिमुलेशन की प्रक्रिया अपनाते हैं. वहीं कुछ मामले ऐसे भी होते हैं, जहां डॉक्टर्स सर्जरी की सलाह देते हैं. एक रिसर्च के मुताबिक स्टेरॉयड पार्किंसंस बीमारी के इलाज में अहम भूमिका निभा सकते हैं. ये बीमारी के असर को कम कर सकते हैं.
यह बीमारी जेनेटिक वजहों से, वायरस के संपर्क में आने से, दिमाग की नस के दबने, सिर पर चोट लगने, वातावरण बदलने के कारण हो सकती है. कई बार जीन में ये बीमारी होने के कारण बच्चे भी इस बीमारी से ग्रस्त पाए जाते हैं. इस बीमारी के पांच स्तर होते हैं. पहले स्टेज में लक्षण नजर नहीं आते. जब शरीर में कंपन होने लगता है, तब यह बीमारी का दूसरा स्टेज होता है. तीसरे स्टेज में अन्य लक्षण दिखने लगते हैं. चौथे स्टेज में खड़े होने और चलने में परेशानी होने लगती है. पांचवे स्टेज में मानसिक क्षमता पर प्रभाव पड़ता है.
इस बीमारी के अलग-अलग तरह के लक्षण हो सकते हैं. शरीर में कम्पन, गति धीमी हो जाना, मांसपेशियों का कठोर होना, संतुलन में परेशानी, खुद से होने वाले कामों का न होना- जैसे पलकें झपकना, चलते समय हाथों का हिलना, हंसना. इसके अलावा इस बीमारी के चलते बोली में बदलाव, लिखावट में बदलाव, नींद न आने की समस्याब, डिप्रेशन, यादाश्त की समस्याी और थकान जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं. महिलाओं के मुकाबले इसके मामले पुरुषों में 50 फीसदी तक ज्यादा पाए जाते हैं. एक रिपोर्ट के मुतबिक पार्किंसंस से हर साल दुनियाभर में तकरीबन 10 मिलियन लोग ग्रस्त होते हैं. हर साल इस बीमारी के चलते करीब एक लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है.