पाकिस्तान में इमरान खान के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद हालात तेजी से बदल रहे हैं. माना जा रहा है कि पाकिस्तान में जल्द ही चुनाव हो सकते हैं और एक बार फिर पाकिस्तान को नया प्रधानमंत्री मिल सकता है. आज नो दिस के इस वीडियो में हम आपको पाकिस्तान की संसद का स्ट्रक्चर समझाएंगे. जानेंगे पाकिस्तान में चुनाव किस तरह होते हैं. आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
पाकिस्तान और भारत में चुनाव की व्यवस्था काफी मिलती जुलती है. पाकिस्तान की संसद में भी दो सदन होते हैं. निचले सदन यानी राष्ट्रीय अंसेबली को कौमी इस्म्ब्ली कहा जाता है. वहीं उच्च सदन यानी सीनेट को आइवान-ए बाला कहा जाता है जो कभी डिजॉल्व नहीं होती है, बस इसके सदस्य बदलते रहते हैं. वहां की राष्ट्रीय असेंबली भारत की लोकसभा की तरह होती है. भारत में राष्ट्रपति संसद का हिस्सा नहीं होता है, जबकि पाकिस्तान की संसद में दोनों सदनों के साथ राष्ट्रपति भी शामिल होता है.
भारत के ऊपरी सदन राज्यसभा की तरह पाकिस्तानी सीनेट के सदस्यों को प्रांतीय असेंबलियों के सदस्य चुनते हैं, जबकि निचले सदन राष्ट्रीय असेंबली के सदस्यों को आम चुनाव से चुना जाता है. वहां लोकसभा में कुल 342 सीट हैं, जिनमें से 272 चुनाव के जरिए चुने जाते हैं और बाकी बची 70 सीटों में 60 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होती हैं तो 10 सीटें पाकिस्तान के पारंपरिक और धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के लिए आरक्षित होती हैं. इनका चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व नियम के तहत होता है.
आनुपातिक प्रतिनिधित्व नियम के मुताबिक हर पार्टी की ओर से उम्मीदवार चुने जाते हैं, लेकिन इनकी संख्या उनकी जीती हुई संख्या के आधार पर तय होती है. जैसे मान लीजिए किसी पार्टी ने 100 सीटों पर चुनाव जीता है और किसी ने 50 सीटों पर. ऐसे में 100 सीटों पर चुनाव जीतने वाली पार्टी के 70 में से ज्यादा सदस्य होंगे.
पाकिस्तानी संसद के उच्च सदन के सदस्यों का कार्यकाल 6 साल होता है. भारत में सांसदों को मेंबर ऑफ पार्लियामेंट कहा जाता है, जबकि यहां सदस्यों को मेंबर ऑफ नेशनल असेंबली कहा जाता है. यहां भी एक स्पीकर होता है. इसमें 104 सदस्य होते हैं और यह अलग अलग आधार पर चुने जाते हैं. सीनेट को ऐसे कई विशेष अधिकार दिये गए हैं, जो नेशनल असेंबली के पास नहीं है.
बता दें पाकिस्तान की संसद को मजलिस-ए-शूरा कहा जाता है जो पाकिस्तान के इस्लामाबाद में है. 1960 तक ये पाकिस्तान के कराची में थी, जिसे बाद में इस्लामाबाद में शिफ्ट किया गया.