चीन अपनी विस्तारवादी नीति के लिए हमेशा से आलोचना का शिकार रहा है, इसके अलावा वो दुनियाभर में अपनी महत्वाकांक्षा के लिए ही जाना जाता है. लेकिन ये भी सच है कि चीन अपनी तकनीकी और इनोवेशन के लिए भी जाना जाता है. चीन सफलता और फेल होने के डर के बावजूद मंगल और चांद तक पहुंच गया. अपना खुद का स्पेस स्टेशन बना रहा है. इन सबके बीच एक बड़ी खबर सामने आई है कि चीन एक दूसरी धरती पर भी काम कर रहा है.. यहां तक कि चीन ने इसके लिए बकायदा प्लान भी बनाया हुआ है और उसके वैज्ञानिक प्लान पर तेजी से काम कर रहे हैं. तो आज के know this वीडियो में हम आपको बताएंगे कि आखिर चीन का Earth 2.0 Mission है क्या साथ ही बताएंगे कि चीन क्यों कर रहा है ऐस? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
दरअसल, चीन की अंतरिक्ष में और ज्यादा गहराई तक जाने का प्लान है. इसी कड़ी में चीन अब एक वैकल्पिक धरती यानी अर्थ 2.0 पर काम कर रहा है. चीन योजना बना रहा है जो सौर मंडल से परे एक्सोप्लैनेट की तलाश करेगा। इस असाइनमेंट का मुख्य लक्ष्य मिल्की वे आकाशगंगा में रहने योग्य क्षेत्र में एक दुनिया को खोजना है. इसे धरती 2.0 मिशन कहा जा रहा है, इसका लक्ष्य उसी ग्रह की खोज करना है जिसमें हम अभी रह रहे हैं।
वहीं चीन को लगता है कि अगले कुछ दशकों में धरती की हालत खराब होने वाली है, ऐसे में वो अपने लोगों को दूसरी धरती पर पहुंचाने की प्लानिंग कर रहा है. इसे लेकर एक रिपोर्ट Nature जर्नल में प्रकाशित हुई है. यह आइडिया चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज का है.
रिपोर्ट के मुताबिक चीन सात टेलिस्कोप की मदद से सौर मंडल के बाहर दूसरी धरती की खोज करेगा। इन टेलिस्कोप के जरिए वो वैसे ग्रहों की खोज करेगा, जैसा कि केपलर मिशन ने खोजा था. चीन की इस टीम में शामिल मेन एस्ट्रोनॉमर जिया कहते हैं कि केपलर की ताकत कम थी. हमारे पास उसका अच्छा डेटा मौजूद है.. उन्होंने कहा कि ये सैटेलाइट नासा के केपलर टेलिस्कोप से 1015 गुना ज्यादा ताकतवर होगा। स्पेसक्राफ्ट ट्रांजिट मेथड के जरिए काम करेगा, वह रोशनी में होने वाले छोटे से बदलाव को भी पकड़ लेगा।।
सातवां यंत्र एक ग्रैविटेशनल माइक्रोलेंसिंग टेलिस्कोप होगा, जो ऐसे ग्रहों की खोज करेगा जो नेपच्यून और प्लूटो जैसे या उसने समानता रखते हों. या फिर वो अपने तारे से बहुत दूर हों.आपको बता दें कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अब तक पांच हजार से ज्यादा बाहरी ग्रह की खोज की है. ये सभी हमारी आकाशगंगा गैलेक्सी में मौजूद हैं.
फिलहाल चीन इस ग्रह की खोज ऐसे समय में कर रहा है, जब इंटरनेशनल लेवल पर चीन के बारे में ये कहा जा रहा है कि वो अमेरिका से आगे निकल जाएगा। अब देखना होगा कि चीन का ये प्रोजेक्ट कब और कहां तक आगे निकलेगा? इस खोज के बाद चीन ये भी देखेगा कि जो ग्रह खोजा गया है, वो जीवन के लायक है या नहीं, उस पर इंसान रह सकता है या नहीं?