नकदी के संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की मदद उसका दोस्त चीन कर तो रहा है लेकिन मदद के बदले में उससे बड़ी कीमत भी वसूल रहा है पहले ही चीन के कर्ज के जाल में बुरी तरह फंसे पाकिस्तान ने नकदी संकट से उबरने के लिए हाल ही में पाकिस्तान ने चीन से 2।3 मिलियन डॉलर का ऋण और ले लिया है। इस कर्ज से उसकी कुछ आर्थिक जरूरतें तो पूरी हो गयी हैं लेकिन ये चिंता जरूर बढ़ गयी है कि इतना कर्ज चुकेगा कैसे? पाकिस्तान सरकार ने इस मुद्दे पर गहरा मंथन करने के बाद कर्ज चुकाने के लिए जो तरीका खोजा है उसको लेकर बड़ा बवाल होने की आशंका जताई जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो चीन के कर्ज के जाल में बुरी तरह फंस चुका पाकिस्तान राहत पाने के लिए गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र चीन को सौंप सकता है।
आपको बता दें कि पाकिस्तान ने कश्मीर के जिस भाग पर अवैध कब्जा किया हुआ है उसके उत्तरी क्षेत्र को गिलगित-बाल्टिस्तान के नाम से जाना जाता है। पाकिस्तान सरकार ने कुछ समय पहले इस क्षेत्र को अपना पांचवां प्रांत भी घोषित किया था। अगर पाकिस्तान ने ये क्षेत्र चीन को पट्टे पर दिया तो भारत के साथ तनाव गंभीर स्थिति में पहुंचने की पूरी संभावना है। वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान की इस हरकत से अमेरिका नाराज हो सकता है। और इस नाराजगी में पाकिस्तान को IMF से मिलने वाला फंड खटाई में पड़ सकता है। लेकिन दक्षिण एशिया में अपना दबदबा बढ़ाने की फिराक में जुटे चीन के लिए ये बड़ा मौका हो सकता है। क्योंकि गिलगित-बाल्टिस्तान से होकर ही चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर यानि सीपेक (CPEC) गुजरता है। इस लिहाज से चीन के लिए ये इलाका बेहद अहम हो जाता है। दूसरी तरफ पाकिस्तान की मंशा भांपकर गिलगित-बाल्टिस्तान के लोग डर के साये में जी रहे हैं और उनका आक्रोश भी बढ़ता जा रहा है। भले ही पाकिस्तानी सुरक्षा बल यहां बड़ी संख्या तैनात हों लेकिन अगर ये क्षेत्र चीन को पट्टे पर दिया गया तो यहां बड़ा विद्रोह होने की पूरी संभावना है। गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके में चल रही चीन की परियोजनाओं को लेकर स्थानीय लोग नाराज चल रहे हैं और अक्सर यहां विरोध-प्रदर्शन और दंगे होते रहते हैं। अब ऐसे में पाकिस्तान सरकार ये इलाका चीन को पट्टे पर देती है तो लोग सड़कों पर उतर पड़ेंगे।
पाकिस्तान की सरकार पहले से ही यहां के लोगों के साथ भेदभाव कर रही है। यहां के स्थानीय प्रशासन को कम अधिकार दिये गये हैं। 20 लाख की आबादी वाले इस क्षेत्र का पाकिस्तान की सरकार में उचित प्रतिनिधित्व नहीं है। पाकिस्तान इस इलाके के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन तो खूब करता है लेकिन बदले में देता कुछ भी नहीं। यही नहीं बिजली जैसी बुनियादी जरूरत से भी इस क्षेत्र को दूर रखा गया है। गिलगित-बालिटस्तान क्षेत्र के लोग बेरोजगारी, बिजली की कमी, शिक्षा जैसी तमाम बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं। इसी वजह से यहां सबसे ज्यादा पलायन होते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस क्षेत्र में बदहाली इतनी है कि पाकिस्तान की 9% खुदकुशी इसी इलाके में होती हैं।
बहरहाल, जहां तक गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को चीन को पट्टे पर दिये जाने के प्रस्ताव की बात है तो ऐसा करने से पाकिस्तान के सिर पर से चीनी कर्ज का बोझ भले कुछ कम हो जाये लेकिन भारत से दुश्मनी बढ़ जायेगी। भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट रूप से बताया है कि गिलगित और बाल्टिस्तान क्षेत्रों समेत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उसके अभिन्न अंग हैं। इसलिए पाकिस्तान को अपने फैसले पर फिर से सोंचना होगा। कहीं पट्टे पर देने की जल्दबाजी में उसे बड़ा फटका ना लग जाए।