चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इनदिनों शिक्षा के क्षेत्र से लेकर मनोरंजन के क्षेत्र तक, हर जगह बड़े-बड़े फैसले ले रहे हैं. जिनपिंग अपने देश के अमीरों और गरीबों के बीच संपत्ति के अंतर को कम करना चाहते हैं. लिहाजा चीनी सरकार अपने देश में प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों पर लगाम कसने में लगी है. दूसरे शब्दों में कहें तो चीन ज्यादातर उन अरबपतियों पर सख्ती कर रहा है जिन्होंने अपनी संपत्ति इंटरनेट बेस्ड कंपनियों से बनाई है. इंटरनेट दिग्गजों पर नकेल कसने के बाद ही चीन के प्रॉपर्टी मार्केट में भूचाल आ गया. जिससे पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था तक चौपट होने का खतरा बन आया है.
आपको बता दें एवरग्रैंड चीन की काफी बड़ी कंपनी है और उसके दिवालिया होने से देश के के रियल एस्टेट बिजनेस को बड़ा झटका लग सकता है. चिंता की बात ये है कि इस नुकसान से दूसरे कई सेक्टर भी काफी प्रभावित हो सकते हैं. क्योंकि इस कंपनी पर दुनिया की बड़ी-बड़ी शख्सियत के पैसे लगे हैं. जिनमें एलन मस्क, जेफ बेजोस, वॉरेन बफेट, बिल गेट्स और मार्क जुकरबर्ग जैसे नाम भी शामिल हैं. अब हाल ये है कि इन सभी अरबपतियों के पैसे डूबने की कगार पर हैं. यही वजह है कि चीन के रियल एस्टेट के लड़खड़ाने से दुनिया के बाकी बाजार भी प्रभावित हो सकते हैं.
चीन के एवरग्रैंड संकट का सीधा असर भारत की कई कंपनियों पर पड़ सकता है. क्योंकि स्टील, केमिकल्स और मेटल सेक्टर की कई कंपनियों की प्रॉडक्शन का एक बड़ा हिस्सा एवरग्रैंड के जरिए चीन के रियल एस्टेट में खपत होता रहा है. यानि ये कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स एवरग्रैंड को बेचती हैं जो कि चीन के रियल एस्टेट मार्केट की बड़ी कंपनियों में से एक है. अब अगर एवरग्रैंड खुद कर्ज में डूब गई हैं तो भारतीय कंपनियों को या तो उसके सामान के बदले पैसे नहीं मिलेंगे या फिर उनका सामान चीन के बाजार में बिकना बंद हो जाएगा. दोनों ही सूरत में नुकसान इन भारतीय कंपनियों का ही होगा. जिसका असर हमारी इकॉनमी पर पड़ सकता है.